इस वर्ष समय से पहले सक्रिय हुआ मानसून देश के कई हिस्सों में तबाही का कारण बन गया है। 20 जुलाई तक कई राज्यों में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, देशभर में अब तक औसत से छह प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। हालांकि वर्षा का वितरण असमान रहा—कहीं सामान्य से 40% अधिक तो कहीं बहुत कम बारिश हुई, जिससे आपदा और सूखे जैसी दोहरी स्थिति बन गई है।
सबसे ज्यादा असर इन राज्यों में
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम, महाराष्ट्र और गुजरात मानसून की सबसे बड़ी मार झेल रहे हैं। हिमाचल व उत्तराखंड में लगातार भूस्खलन, बादल फटने और तेज बारिश ने सैकड़ों गांवों को प्रभावित किया है और 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है। असम में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के उफान से लाखों लोग बाढ़ की चपेट में हैं। वहीं महाराष्ट्र के कोल्हापुर व नासिक तथा गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में जलजमाव और बाढ़ से फसलें और बुनियादी ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं।
नदियों का जलस्तर खतरे के पार
गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में जून में ही सामान्य से तीन गुना अधिक वर्षा दर्ज की गई है। कई इलाकों में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे प्रशासन को एनडीआरएफ और सेना की मदद लेनी पड़ी है। बिहार के सात जिलों में गंगा और कोसी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी स्थिति है, जबकि उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में 45% कम वर्षा हुई है, जिससे खरीफ फसलों की बुआई पर असर पड़ा है। झारखंड और बुंदेलखंड क्षेत्र भी अत्यधिक वर्षा के कारण प्रभावित हैं।
कई इलाके अब भी बारिश को तरस रहे
भारी बारिश के बावजूद देश के कुछ क्षेत्र अभी भी सूखे की स्थिति में हैं। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान के कुछ जिलों में अब तक बहुत कम वर्षा हुई है। खासतौर पर हरियाणा के महेन्द्रगढ़, फतेहाबाद और रेवाड़ी में बारिश सामान्य से 50% कम रही है। इसी तरह, मेरठ, बागपत, शामली और मालवा क्षेत्र में धान और गन्ने की बुआई काफी पीछे चल रही है।
अगस्त-सितंबर में तेज हो सकता है मानसून
आईएमडी के पूर्वानुमानों के अनुसार, अगस्त और सितंबर में पूर्वी और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और हरियाणा में जुलाई के अंत में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बनने वाले निम्न दबाव क्षेत्रों से मानसून और प्रबल हो सकता है। मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि इस साल अल-नीनो का प्रभाव नहीं है, लेकिन चरम मौसमी घटनाएं बढ़ सकती हैं।
राजस्थान के शहरों में जलभराव
राजस्थान के अजमेर सहित कई शहरों में भारी बारिश के चलते जलभराव हो गया है। आनासागर झील का जलस्तर बढ़ने से बाजार को बजरंगगढ़ से जोड़ने वाला रास्ता बंद करना पड़ा। जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भी पानी भर गया।
अरुणाचल प्रदेश में भारी तबाही
पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में पिछले कई दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण कई क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ ने तबाही मचाई है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, जून से अब तक राज्य में 15 लोगों की जान जा चुकी है।