नई दिल्ली। वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर शुरू हुए राष्ट्रीय उत्सव के बीच, इस गीत को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा नेता सी.आर. केसवन ने दावा किया है कि स्वतंत्रता से पहले जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने वंदे मातरम से मां दुर्गा की स्तुति वाले श्लोक जानबूझकर हटाए थे। उन्होंने कहा कि यह निर्णय कुछ “सांप्रदायिक समूहों को खुश करने” के उद्देश्य से लिया गया था।
केसवन ने अपनी पोस्ट में बताया कि 1937 में महाराष्ट्र के फैजपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन में यह संशोधन किया गया था। उनका कहना है कि पार्टी ने वंदे मातरम के केवल पहले दो छंदों को ही अपनाया और देवी दुर्गा की आराधना वाले शेष भाग को हटा दिया गया। उन्होंने इसे “देश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप के साथ अन्याय” बताया।
भाजपा प्रवक्ता केसवन ने इस ऐतिहासिक फैसले की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयोजित वंदे मातरम के 150वें स्मरणोत्सव से की, जहां पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन किया गया। उन्होंने कहा, “आज की युवा पीढ़ी को यह जानना चाहिए कि कांग्रेस ने 1937 में अपने सांप्रदायिक एजेंडे के तहत वंदे मातरम के पूर्ण संस्करण को स्वीकार नहीं किया था।”

केसवन ने आगे लिखा, “वंदे मातरम किसी एक धर्म या भाषा का गीत नहीं है, यह भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है। लेकिन कांग्रेस ने देवी के प्रति श्रद्धा वाले अंश को हटाकर ऐतिहासिक भूल की।”
इस बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम की आत्मा को 1937 में खंडित किया गया। यह वही मानसिकता थी जिसने आगे चलकर देश के विभाजन के बीज बोए। आज की पीढ़ी को यह समझना चाहिए कि इस तरह का विभाजनकारी सोच देश के लिए हमेशा चुनौती बनी रही है।”
वंदे मातरम, जिसे बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में लिखा था, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का प्रेरणास्रोत रहा है। अब, इसके 150 साल पूरे होने के मौके पर एक बार फिर यह गीत राजनीतिक बहस के केंद्र में है।