22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से की गई सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रणनीतिक और तकनीकी दृष्टि से बेहद सफल रही। इस ऑपरेशन के तहत न केवल पाकिस्तान में छिपे आतंकवादियों को निशाना बनाया गया, बल्कि पाकिस्तान और उसके सहयोगियों चीन और तुर्किये को भी कड़ा संदेश दिया गया।
भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने दिखाया दम
प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने उच्च दक्षता का प्रदर्शन किया। मिशन के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान को चीन से मिले एयर डिफेंस सिस्टम को मात्र 23 मिनट में निष्क्रिय कर दिया। इसके साथ ही तुर्किये द्वारा भेजे गए ड्रोन, चीन की पीएल-15 मिसाइल, लंबी दूरी के रॉकेट, क्वाडकॉप्टर और अन्य ड्रोन सिस्टम को भी नष्ट किया गया।
इन हथियारों के अवशेष भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कब्जे में लिए हैं, जिससे यह प्रमाणित होता है कि पाकिस्तान ने विदेशी सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया, लेकिन भारत की स्वदेशी तकनीक और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली उसके सामने कहीं अधिक प्रभावी साबित हुई।
इसरो की सैटेलाइट निगरानी से मिली रणनीतिक बढ़त
पीआईबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इसरो ने ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने जानकारी दी कि कम से कम 10 उपग्रह 24×7 निगरानी में लगे रहे, जो समुद्र तटीय क्षेत्रों से लेकर उत्तरी सीमाओं तक की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रहे थे।
वायु रक्षा में स्वदेशी ताकत का प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पिकोरा, ओएसए-एके, एलएलएडी गन और अत्याधुनिक ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम का सफलतापूर्वक उपयोग किया। ‘आकाश’ प्रणाली एक बहुउद्देश्यीय सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट कर सकती है। इसे मोबाइल प्लेटफॉर्म्स पर भी तैनात किया जा सकता है, जिससे इसका संचालन और अधिक लचीला हो जाता है।
भारतीय संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं
पीआईबी के अनुसार, इस पूरे अभियान में भारतीय सैन्य संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। यह भारत की रणनीतिक योजना, रीयल टाइम निगरानी और वितरण प्रणाली की प्रभावशीलता को दर्शाता है। आधुनिक स्वदेशी तकनीक और सटीक इंटेलिजेंस ने इस अभियान को पूरी तरह सफल बना दिया।
2030 तक भारत बनेगा वैश्विक ड्रोन हब
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। PIB ने बताया कि भारत अब ड्रोन तकनीक को लेकर भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (DFI) के सहयोग से 550 से अधिक ड्रोन कंपनियां और 5,500 से अधिक प्रशिक्षित पायलट देश को 2030 तक वैश्विक ड्रोन हब में बदलने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं।
इस मिशन ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है, बल्कि किसी भी बाहरी खतरे का जवाब देने के लिए पूरी तरह सक्षम भी है।