प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार की दिवाली गोवा के कारवार तट पर भारतीय नौसेना के वीर जवानों के बीच मनाने पहुंचे। 2014 से चली आ रही अपनी परंपरा को निभाते हुए उन्होंने सशस्त्र बलों के साथ त्यौहार मनाने का संकल्प एक बार फिर दोहराया। इस दौरान उन्होंने स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का दौरा किया और नौसैनिकों को संबोधित करते हुए उनके उत्साह और देशभक्ति की सराहना की।
‘आईएनएस विक्रांत केवल युद्धपोत नहीं, आत्मनिर्भर भारत की पहचान’
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “आज का यह क्षण अविस्मरणीय है, एक ओर अनंत समुद्र और दूसरी ओर मां भारती के वीर सपूतों की शक्ति। आईएनएस विक्रांत सिर्फ एक युद्धपोत नहीं, बल्कि यह 21वीं सदी के भारत की मेहनत, प्रतिभा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।”
उन्होंने भावनात्मक लहजे में कहा कि दीपावली जैसे त्यौहार परिवार के साथ मनाने की परंपरा होती है, लेकिन उनके लिए देश के सिपाही ही असली परिवार हैं- “हर साल मैं अपने परिवार यानी जवानों के बीच दिवाली मनाने आता हूं।”
ऑपरेशन सिंदूर और तीनों सेनाओं के समन्वय का ज़िक्र
प्रधानमंत्री ने हाल के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के समन्वित प्रयासों ने पाकिस्तान को चंद घंटों में पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा, “आईएनएस विक्रांत की मौजूदगी मात्र से ही दुश्मन में भय व्याप्त हो जाता है। यह हमारी तीनों सेनाओं की वीरता और अनुशासन का प्रतीक है।”
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
मोदी ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत का रक्षा उत्पादन तीन गुना बढ़ा है। “2014 से अब तक नौसेना को 40 से अधिक स्वदेशी युद्धपोत और पनडुब्बियां दी जा चुकी हैं। आज लगभग हर 40 दिन में एक नया स्वदेशी पोत नौसेना में शामिल हो रहा है।” उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलें भारत की तकनीकी क्षमता का परिचायक हैं और अब दुनिया भर के देश इन्हें खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने रक्षा निर्यात में हुई प्रगति का ज़िक्र करते हुए बताया कि “पिछले दस वर्षों में भारत का रक्षा निर्यात 30 गुना बढ़ा है- यह देश के स्टार्टअप्स और स्वदेशी रक्षा उद्योग की बड़ी उपलब्धि है।”
‘सेनाओं की असली ताकत उनके साहस में’
मोदी ने कहा कि भले ही हमारे पास आधुनिक हथियार और युद्धपोत हों, पर उनकी असली शक्ति उन्हें संचालित करने वाले जवानों में है। “ये जहाज लोहे से बने हैं, पर जब आप इन पर सवार होते हैं, तो ये सजीव हो उठते हैं। आप लोगों का साहस और समर्पण ही इनका प्राण है।”
नक्सलवाद पर नियंत्रण का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने देश में नक्सली हिंसा पर नियंत्रण के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि “2014 में जहां 125 जिले नक्सल प्रभावित थे, अब वह संख्या घटकर केवल 11 रह गई है। आज सौ से अधिक जिले भयमुक्त होकर दीपावली मना रहे हैं — यह हमारे सुरक्षाबलों के समर्पण और त्याग का परिणाम है।”
हर वर्ष सशस्त्र बलों के संग दिवाली
2014 से अब तक पीएम मोदी हर वर्ष किसी न किसी सीमांत क्षेत्र में जवानों के साथ दीपावली मनाते रहे हैं।
-
2014 में वे सियाचिन गए,
-
2015 में अमृतसर के डोगराई युद्ध स्मारक,
-
2016 में हिमाचल के सीमा क्षेत्र,
-
2017 में जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर,
-
2018 में उत्तराखंड के हर्षिल,
-
2019 में राजौरी,
-
2020 में जैसलमेर के लोंगेवाला,
-
2021 में नौशेरा,
-
2022 में कारगिल,
-
2023 में हिमाचल के लेपचा,
और इस वर्ष 2024 में गोवा तट पर नौसेना के जवानों के बीच।
उन्होंने कहा कि यह परंपरा न केवल सैनिकों का मनोबल बढ़ाती है, बल्कि पूरे राष्ट्र को सुरक्षा के प्रति एकजुट करती है।