पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उनसे सार्वजनिक माफी की मांग की। बनर्जी का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम के रचयिता और बंगाल के महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को ‘बंकिम दा’ कहकर संबोधित कर उनका सम्मान घटाया है।

कूच बिहार में आयोजित एक जनसभा के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर हैं और उन्हें संबोधित करने में प्रधानमंत्री को उचित सम्मान देना चाहिए था। उन्होंने कहा, “आपने उन्हें वह आदर नहीं दिया जिसके वे हकदार हैं। आपको देश से माफी मांगनी चाहिए।”

विवाद की पृष्ठभूमि

यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रचनाकार का उल्लेख करते हुए ‘बंकिम दा’ कहा। इस पर TMC सांसद सौगत रॉय ने आपत्ति जताई और प्रधानमंत्री से ‘बंकिम बाबू’ कहने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने तुरंत सुझाव स्वीकार करते हुए कहा कि वे उनकी भावना का सम्मान करते हैं और आगे से ‘बंकिम बाबू’ कहेंगे। उन्होंने मज़ाकिया लहजे में यह भी पूछा कि क्या वे सौगत रॉय को ‘दादा’ कह सकते हैं।

बंगाल की संस्कृति पर खतरे का आरोप

ममता बनर्जी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी यदि बंगाल में सत्ता में आती है, तो राज्य की भाषा, संस्कृति और परंपराओं को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंतिम मतदाता सूची जारी होते ही विधानसभा चुनाव की घोषणा की जा सकती है, ताकि कोई इसे अदालत में चुनौती न दे सके।

टीएमसी सांसदों का संसद में मौन प्रदर्शन

विवाद के बाद टीएमसी सांसदों ने संसद के सेंट्रल हॉल में शांतिपूर्वक विरोध दर्ज कराया। वे रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के चित्रों के साथ मौन बैठे रहे। बाद में सांसद संविधान सदन के द्वार पर भी खड़े होकर प्रदर्शन करते दिखाई दिए।

राज्यसभा में TMC की उपनेता सागरिका घोष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने दोनों साहित्यिक महानायकों का उल्लेख असम्मानजनक ढंग से किया। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम’ का मूल पाठ बंकिम चंद्र की ‘आनंदमठ’ से लिया गया है, और उनका नाम व योगदान सम्मानपूर्वक पेश किया जाना चाहिए था।

घोष ने यह भी कहा कि टैगोर, जिन्होंने राष्ट्रगान की रचना की, उनके योगदान को भी गलत सन्दर्भ में पेश किया गया, जिससे बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को ठेस पहुंची है।