प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि वह अपने दिल में एक अयोध्या लेकर लौटे हैं जो उनसे कभी दूर नहीं जाएगी। पत्र में लिखा कि मैंने एक तीर्थयात्री के रूप में अयोध्या धाम की यात्रा की। भक्ति और इतिहास के ऐसे संगम वाली पवित्र भूमि पर पहुँचकर मैं भाव-विभोर हो गया। अपने पत्र में पीएम मोदी ने कहा, "दो दिन पहले मुझे आदरणीय राष्ट्रपति जी का एक बहुत ही प्रेरणादायक पत्र मिला। आज मैंने एक पत्र के माध्यम से अपना आभार व्यक्त करने का प्रयास किया है।"

मोदी ने अपने पत्र में लिका कि अयोध्या धाम में अपने जीवन के सबसे अविस्मरणीय क्षणों का साक्षी बनकर लौटने के बाद, मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं। मैं, एक अयोध्या अपने मन में भी लेकर लौटा हूं। एक ऐसी अयोध्या जो कभी मुझसे दूर नहीं हो सकती। अयोध्या जाने से एक दिन पूर्व मुझे आपका पत्र मिला था। आपकी शुभकामनाओं और स्नेह का मैं बहुत-बहुत आभारी हूं। आपके पत्र के हर शब्द ने आपके करुणामयी स्वभाव और प्राण-प्रतिष्ठा के आयोजन पर आपकी असीम प्रसन्नता को व्यक्त किया। जिस समय मुझे आपका पत्र मिला था, मैं एक अलग ही भावयात्रा में था। आपके पत्र ने मुझे, मेरे मन की इन भावनाओं को संभालने में, उनसे सामंजस्य बिठाने में अपार सहयोग और संबल दिया।

प्रधानमंत्री ने आगे लिखा कि मैंने एक तीर्थयात्री के रूप में अयोध्या धाम की यात्रा की। जिस पवित्र भूमि पर आस्था और इतिहास का ऐसा संगम हुआ हो, वहां जाकर मेरा मन अनेक भावनाओं से विह्वल हो गया। ऐसे ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनना एक सौभाग्य भी है और एक दायित्व भी है। आप ने मेरे 11 दिन के व्रत-अनुष्ठान और उससे जुड़े यम-नियमों के विषय में भी चर्चा की थी। हमारा देश ऐसे अनगिनत लोगों का साक्षी रहा है जिन्होंने शताब्दियों तक अनेक संकल्प व्रत किए जिससे कि रामलला पुनः अपने जन्मस्थान पर विराज सके। सदियों तक चले इन व्रतों की पूर्णाहुति का संवाहक बनना, मेरे लिए बहुत भावुक क्षण था और इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं।