करूर भगदड़ मामले में मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा कि रिपोर्ट से यह संकेत मिलता है कि “हाईकोर्ट में कुछ ठीक नहीं चल रहा।” अदालत ने निर्देश दिया कि रिपोर्ट की प्रति सभी पक्षकारों के वकीलों को उपलब्ध कराई जाए और उनसे जवाब मांगा जाए।
अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके द्वारा 27 सितंबर की रैली में हुई भगदड़ की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट पहले भी हाईकोर्ट की कार्यवाही को लेकर असंतोष जता चुका है।
मदुरै पीठ के क्षेत्राधिकार पर भी सुप्रीम कोर्ट के सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि चेन्नई स्थित प्रधान पीठ ने कैसे इस मामले में केवल राज्य पुलिस अधिकारियों की विशेष जांच टीम (एसआईटी) के गठन का आदेश जारी कर दिया, जबकि करूर जिला मदुरै पीठ के अधिकार क्षेत्र में आता है।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले 13 अक्टूबर को सीबीआई जांच के आदेश देते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी कि चेन्नई पीठ ने इस मामले को किस प्रकार हैंडल किया। रिपोर्ट देखने के बाद पीठ ने फिर टिप्पणी की कि हाईकोर्ट की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ दिखाई दे रही हैं।
राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने दलील दी कि हाईकोर्ट अपने समक्ष आए किसी भी मुद्दे पर आदेश पारित करने को स्वतंत्र है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले दिए गए आदेश की समीक्षा की मांग खारिज कर दी।
सीबीआई जांच की निगरानी के लिए समिति का गठन बरकरार
सीबीआई जांच की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपनी निगरानी में एक तीन सदस्यीय समिति गठित कर चुका है, जिसकी अध्यक्षता पूर्व न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी को सौंपी गई है। समिति में दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को शामिल किया जाएगा, जिनका तमिलनाडु कैडर तो हो सकता है, लेकिन वे राज्य के मूल निवासी नहीं होंगे।
कुछ याचिकाकर्ताओं ने आदेश में प्रयुक्त “मूल निवासी” शब्द पर आपत्ति जताते हुए संशोधन की मांग की थी, जिसे पीठ ने अस्वीकार कर दिया।
राज्य सरकार और टीवीके आमने-सामने
तमिलनाडु सरकार सीबीआई जांच के आदेश को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुँच चुकी है। वहीं, अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके ने अपने पक्ष में हलफनामा दाखिल कर दावा किया है कि राज्य सरकार ने अदालत को भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किए हैं। टीवीके ने स्पष्ट रूप से कहा है कि करूर हादसे की जांच केवल सीबीआई द्वारा ही कराई जाए।
राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने आश्वासन दिया कि राज्य जांच आयोग सीबीआई की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेगा और केवल निवारक उपायों पर सुझाव देगा।