उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को धमकाने और चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में बाधा डालने जैसी घटनाओं पर कड़ी नाराज़गी जताई है। एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य सरकारें इस प्रक्रिया में अपेक्षित सहयोग नहीं दे रहीं, जो बेहद चिंताजनक है।

सुप्रीम कोर्ट ने दी कड़ी चेतावनी
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कहा कि यदि हालात और बिगड़ते हैं, तो व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल की तैनाती जैसे कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं। इस पर चुनाव आयोग ने अदालत को आश्वस्त किया कि उसके पास बीएलओ या अन्य अधिकारियों को धमकाने के मामलों से निपटने के सभी संवैधानिक अधिकार मौजूद हैं। न्यायालय ने आयोग को सख्ती से कार्रवाई करने की सलाह दी ताकि स्थिति नियंत्रण से बाहर न जाए।

पश्चिम बंगाल में पांच वरिष्ठ IAS अधिकारी तैनात
इस बीच, चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया की निगरानी को मजबूत करने के लिए पांच वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को स्पेशल रोल ऑब्जर्वर (एसआरओ) नियुक्त किया है। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम पुनरीक्षण प्रक्रिया में भरोसा और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

नियुक्त अधिकारियों में रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव कुमार रवि कांत सिंह को प्रेसिडेंसी संभाग, गृह मंत्रालय के नीरज कुमार बांसोद को मेदिनीपुर संभाग और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कृष्ण कुमार निराला को बर्दवान संभाग की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि एसआरओ की तैनाती से सभी संभागों में एसआईआर प्रक्रिया की निगरानी और जांच और प्रभावी हो जाएगी।

राज्य में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण 4 नवंबर से जारी है। आयोग के अनुसार, अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।