बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना के शुरुआती दौर में राजनीतिक तस्वीर लगभग साफ होती दिख रही है। प्रारंभिक रुझानों के अनुसार बीजेपी नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) लगभग 190 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि महागठबंधन महज 49 सीटों पर सीमित नजर आ रहा है।

सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को

मतगणना के शुरुआती आंकड़े कांग्रेस के लिए बेहद निराशाजनक साबित हो रहे हैं। दोपहर 12:20 बजे तक पार्टी सिर्फ 6 सीटों पर आगे चल रही थी। इस कमजोर प्रदर्शन को लेकर पार्टी के भीतर भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ कांग्रेस नेता निखिल कुमार ने पार्टी की तैयारियों और रणनीति पर खुलकर सवाल खड़े किए हैं। आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि ये परिणाम संगठनात्मक कमज़ोरियों की ओर इशारा करते हैं।
उन्होंने कहा, “किसी भी चुनाव में पार्टी की ताकत उसके संगठन से झलकती है। यदि संगठन मजबूत न हो और प्रभावी ढंग से काम न करे, तो नतीजों पर सीधा असर पड़ता है।”

जमीनी स्तर पर तैयारी अधूरी रही?

निखिल कुमार ने माना कि कांग्रेस जमीनी तैयारी और रणनीति दोनों मोर्चों पर पिछड़ी। उनका कहना था कि कई क्षेत्रों में पार्टी की मौजूदगी कमजोर रही, जिससे मुकाबला और कठिन हो गया।

उन्होंने यह भी कहा कि सभी उम्मीदवार सक्षम थे, लेकिन बेहतर विकल्प चुने जा सकते थे। उनके अनुसार, संगठन को हर विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करनी चाहिए थी और अधिक सूझबूझ से उम्मीदवार चयन करना चाहिए था।

कई मजबूत दावेदारों को मौका नहीं मिला

वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि कई योग्य और लोकप्रिय स्थानीय नेताओं को टिकट नहीं दिया गया, जिससे पार्टी की कई सीटों पर प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हुई। उनका कहना था कि गलत टिकट वितरण ने कांग्रेस की स्थिति को और बिगाड़ दिया।

गौरतलब है कि यह बयान उस समय आया है जब राज्य की 243 सीटों पर मतगणना जारी है और अंतिम तस्वीर अभी सामने आनी बाकी है।