बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर जीत के दावा में बदलाव देखने को मिला है। पहले जहां गठबंधन के कई नेता 225 सीटें जीतने का दावा कर रहे थे, अब अधिकांश दिग्गज नेता 160 से 165 सीटों तक ही जीत का भरोसा जताने लगे हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एनडीए के प्रमुख घटक दल के नेता चिराग पासवान ने शनिवार को कहा कि उनका गठबंधन राज्य में 160 से 165 सीटें जीत सकता है। चिराग ने गया एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में बताया कि इस बार उनकी पार्टी केवल 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी, जिससे स्ट्राइक रेट बेहतर रहेगा। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा दूसरी तरफ थे, लेकिन इस बार एनडीए के साथ हैं। वहीं मुकेश सहनी की पार्टी महागठबंधन के साथ चुनावी मैदान में है।
चिराग पासवान ने कहा कि एनडीए सभ्यता और शांतिपूर्ण तरीके से जनता को संदेश दे रहा है, जबकि महागठबंधन के कुछ कार्यकर्ता पहले ही विधानसभा चुनाव से पहले विवादित गतिविधियों में शामिल रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि पहले चरण के मतदान के परिणामों के बाद एनडीए पहले ही लगभग 100 सीटों तक पहुंच चुका है और दूसरे चरण के बाद 2010 का रिकॉर्ड टूट सकता है।
हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय जायसवाल ने शनिवार को 225 सीटों का दावा दोहराया और कहा कि बिहार की जनता इस बार एनडीए को रिकॉर्ड जीत दिलाएगी। उन्होंने कहा, "2025, नरेंद्र-नीतीश, इस बार 225"।
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि पिछले 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटों से संतोष करना पड़ा था। इस बार गठबंधन ने नारे लगाए थे, लेकिन अब चिराग पासवान के बयान से यह संकेत मिलता है कि 245 सदस्यीय विधानसभा में 225 सीटें जीतना चुनौतीपूर्ण होगा। इस बार भाजपा और जनता दल (यू) ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा है, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी को 29 सीटें दी गई हैं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को उनकी मांग से कम सीटों पर संतोष करना पड़ा है।