बिहार चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इस बीच जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने भाजपा को बड़ा झटका दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और चार बार के विधायक जनार्दन यादव ने भाजपा का दामन छोड़कर जनसुराज का दामन थाम लिया है। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने कहा कि जनार्दन यादव अररिया की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखते हैं और उनका स्वागत जनसुराज में खुले हाथों से किया गया है।

जनार्दन यादव ने अपनी सदस्यता लेने के बाद कहा कि उन्हें भाजपा में नजरअंदाज किया गया। उन्होंने बताया कि राज्य में पलायन, अपराध और भ्रष्टाचार की स्थिति गंभीर है और जनता पार्टी के विधायक इससे नाराज हैं। यादव ने कहा, "2015 में मेरी हार के बाद भी मैं क्षेत्र में सक्रिय रहा और जनता के बीच गया। लेकिन पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं ने मुझे दरकिनार किया। मैं प्रशांत किशोर की सोच और दृष्टिकोण से प्रभावित हूं और इसलिए जनसुराज का हिस्सा बनकर बिहार के विकास में योगदान देना चाहता हूं।"

1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बने जनार्दन यादव को उस समय कम उम्र के कारण अयोग्य ठहराया गया था। इसके बाद 1980 में हुए उपचुनाव में वह भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं। इसके बाद उन्होंने 2000 और 2005 में भी भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी, जबकि 2015 में उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।