नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े की पदोन्नति से जुड़ी विवादित याचिका में केंद्र सरकार को 20,000 रुपये का जुर्माना किया है। अदालत ने पाया कि सरकार ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया।

जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें वह केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के वानखेड़े को पदोन्नति देने के आदेश की समीक्षा करना चाह रही थी।

हाईकोर्ट ने केंद्र की दलील खारिज कर दी, जिसमें यह कहा गया था कि वानखेड़े के खिलाफ सीबीआई और ईडी की जांच लंबित है और उन पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी पाने का आरोप है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वानखेड़े न कभी निलंबित हुए और न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल की गई।

कोर्ट ने यह भी बताया कि अगस्त 2024 में CAT ने वानखेड़े के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने CAT के आदेश की अनदेखी कर हाईकोर्ट को गलत जानकारी दी।

ज्ञात हो कि दिसंबर 2024 में CAT ने आदेश दिया था कि यदि UPSC ने वानखेड़े की पदोन्नति की सिफारिश की है, तो उन्हें जॉइंट कमिश्नर के पद पर प्रमोट किया जाए।

समीर वानखेड़े पहले सुर्खियों में तब आए थे जब उन्होंने NCB अधिकारी रहते हुए बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में आर्यन को क्लीन चिट मिल गई और वानखेड़े का तबादला कर दिया गया।