दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ने और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बने रहने के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने पूछा कि जब सरकार लोगों को साफ हवा उपलब्ध कराने में असमर्थ है, तो कम से कम एयर प्यूरीफायर पर 18 प्रतिशत जीएसटी में कमी क्यों नहीं की जा रही।

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने सरकारी वकील को इस मामले में तत्काल निर्देश लेने और दोपहर 2:30 बजे तक अदालत को स्थिति से अवगत कराने का आदेश दिया। अदालत ने इसे “इमरजेंसी स्थिति” करार देते हुए कहा कि एक व्यक्ति दिनभर में लगभग 21,000 बार सांस लेता है और प्रदूषित हवा से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

यह सुनवाई अधिवक्ता कपिल मदन द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर हो रही है, जिसमें एयर प्यूरीफायर को ‘मेडिकल डिवाइस’ के रूप में मान्यता देने और जीएसटी दर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की मांग की गई है।