देश को दहला देने वाले निठारी हत्याकांड में दोषी ठहराए गए सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को उसकी क्यूरेटिव याचिका स्वीकार करते हुए 2011 में सुनाए गए अपने फैसले को बदल दिया और कोली को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।
कोली अब तक 12 मामलों में बरी हो चुका था और केवल रिम्पा हलदर हत्याकांड में दोषी पाए जाने के कारण जेल में था। सुप्रीम कोर्ट की इस नई दिशा के बाद उसकी रिहाई का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।
सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि केवल एक बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी के आधार पर दोषसिद्धि उचित नहीं थी। अदालत ने कहा कि जब बाकी मामलों में अभियुक्त को बरी किया जा चुका है, तो इस एक मामले में दोषी ठहराना न्यायसंगत नहीं माना जा सकता।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही बरी किया था
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड से जुड़े 12 मामलों में सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया था। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर कर राहत की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि उसे गलत साक्ष्यों के आधार पर दोषी ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि दोषसिद्धि को अब अस्थिर नहीं रखा जा सकता और अभियुक्त को तुरंत रिहा किया जाए।
2006 में उजागर हुआ था निठारी कांड
निठारी हत्याकांड दिसंबर 2006 में तब सामने आया था जब नोएडा के निठारी गांव में एक नाले से कई मानव कंकाल बरामद हुए थे। जांच में पता चला कि ये अपराध मोनिंदर सिंह पंढेर के घर से जुड़े थे और उसका घरेलू कर्मचारी सुरेंद्र कोली इन हत्याओं में शामिल था।
इस प्रकरण ने पूरे देश को झकझोर दिया था। कोली और पंढेर के खिलाफ कुल 16 से अधिक केस दर्ज हुए थे, जिनमें से अधिकांश में अदालतों ने साक्ष्यों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया था।