हिमाचल प्रदेश में जगह-जगह मोदी सरकार के खिलाफ सोमवार को प्रदर्शन किए गए। केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच व विभिन्न कर्मचारी यूनियनों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आवाहन पर सरकारी व गैर सरकारी बैंक कर्मी, LIC कर्मचारी, सीटू, इंटक, एटक, BSNL, डाक-कर्मी, किसान, बागवान, मंजदूर, CPI(M), दलित शोषण मुक्ति मोर्चा इत्यादि संगठन सड़कों पर उतर आएं।
इस दौरान इन्होंने केंद्र की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने बैंकों को निजी हाथों में सौंपने, महंगाई, बेरोजगारी, श्रम कानून खत्म करने जैसे मुद्दों को लेकर आज और कल दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान कर रखा है। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में ब्लाक स्तर पर प्रदर्शनकारियों ने स्थानीयSDM के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपे।
मजदूरों के कानूनों को खत्म करके चार लेबर कोड बनाने, सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश व निजीकरण, ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली, आउटसोर्स नीति बनाने, स्कीम वर्करज़ को नियमित सरकारी कर्मचारी घोषित करने, मनरेगा मजदूरों को 200 दिन का रोज़गार देने व 350 रुपए दिहाड़ी लागू करने, करुणामूलक रोज़गार देने, छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 21 हज़ार रुपए घोषित करने, पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस व खाद्य वस्तुओं की भारी महंगाई पर रोक लगाने इत्यादि की मांग उठाई।
सैंकड़ों मजदूर मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरें। राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान चंबा, तीसा, चुवाड़ी, धर्मशाला, हमीरपुर, ऊना, मंडी, बिलासपुर, सरकाघाट, जोगिन्दरनगर, बालीचौकी, कुल्लू, आनी, सैंज, नालागढ़, सोलन, दाड़लाघाट, बद्दी बरोटीवाला, परवाणु, नाहन, शिलाई, शिमला, ठियोग, रामपुर, रोहड़ू, कुमारसैन, निरमंड व टापरी आदि में प्रदर्शन किए गए।