श्रीनगर/नई दिल्ली: दिल्ली ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार डॉ. उमर नबी पुलवामा 2.0 जैसे बड़े हमले की साजिश रच रहा था। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, उमर ने करीब एक महीने तक श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर रेकी की थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस की सतर्कता के कारण वह अपने पाकिस्तानी आकाओं के निर्देश को अंजाम नहीं दे पाया।

पुलिस ने उमर के घर से कई डिजिटल उपकरण, एक संदिग्ध मोबाइल फोन, लैपटॉप और ड्रोन बरामद किए हैं। बताया गया कि उसने यह फोन पुलवामा के आमिर को सौंपा था, जिसे आगे उसकी मां तक पहुँचाया गया। फोन को उसके मकान के पीछे सिंचाई विभाग की नहर में छिपाया गया था। उसके भाई जहूर का फोन भी जब्त किया गया है।

शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट, लेकिन करतूत कायराना:
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, डॉ. उमर ने नीट में 17वां रैंक हासिल किया था और श्रीनगर के प्रतिष्ठित सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री पूरी की। वह श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल और जीएमसी अनंतनाग में काम कर चुका था और 2022 में फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में तैनात हुआ।

पुलिस की सतर्कता और खुफिया इनपुट्स:
पुलिस पिछले तीन महीनों से हाईवे और उमर की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए थी। अधिकारियों के मुताबिक, उमर पुलवामा जैसा आईईडी हमला करने की फिराक में था, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था की कड़ी निगरानी के चलते उसे अपने प्लान को रोकना पड़ा।

आईएसआई के स्लीपर सेल्स से संपर्क:
सूत्रों के अनुसार, उमर और उसके साथी पाकिस्तान से निर्देश प्राप्त करने वाले आईएसआई के स्लीपर सेल्स से जुड़े थे। पूछताछ के दौरान दिल्ली ब्लास्ट मामले में अन्य गिरफ्तार आरोपियों के संबंध भी सामने आए।

दो भाई हिरासत में:
पुलिस ने उमर के दो भाई आशिक अहमद भट और जहूर इलाही भट को हिरासत में लिया है। उमर की भाभी मुजम्मिल अख्तर ने बताया कि उन्होंने उमर से शुक्रवार को आखिरी बार बात की थी और उसने कहा था कि तीन दिन में घर लौट आएगा।

पुलिस ने अब इन बरामद उपकरणों और डिजिटल सबूतों की जांच शुरू कर दी है, जिससे आतंकवादी नेटवर्क और हमले की योजना से जुड़े अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।