खंडवा। मध्य प्रदेश स्टेट वक्फ ट्रिब्यूनल ने खंडवा जिले के सिहाड़ा गांव की पूरी जमीन को वक्फ संपत्ति बताने के जिला वक्फ बोर्ड के दावे को अस्वीकार कर दिया है। इसके बाद पीर मौजा दरगाह परिसर में अवैध रूप से बने वजूखाना, दुकान और प्रवेश द्वार को मंगलवार को जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत की मौजूदगी में पुलिस बल के साथ ढहा दिया गया।
इसके अलावा, दरगाह के पास पंचायत की जमीन पर 2013 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण यादव की सांसद निधि से बनाए गए मांगलिक भवन पर कब्जा कर चल रहे अवैध मदरसे को भी बंद करवा दिया गया। इस भवन पर ग्राम पंचायत ने ताला लगाकर कब्जा कर लिया और हरे रंग की दीवार पर भगवा रंग से पुताई करवाई।
ग्राम पंचायत के अनुसार, दरगाह प्रबंधन ने दो महीने पहले नोटिस दिए जाने के बावजूद भूमि खाली नहीं की थी। इसके बाद वक्फ बोर्ड ने मध्य प्रदेश स्टेट वक्फ ट्रिब्यूनल में दावा किया कि गांव की खसरा संख्या 781, रकबा 14.500 हेक्टेयर भूमि वक्फ संपत्ति है। ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के दौरान प्रशासन और राजस्व अधिकारियों से सभी दस्तावेज तलब किए, लेकिन वक्फ बोर्ड कोई प्रमाण नहीं पेश कर सका।
ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद साफ हो गया कि दरगाह प्रबंधन का दावा आधारहीन था और ग्राम पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जे को हटाना आवश्यक था। हालांकि जिला वक्फ बोर्ड अब भी पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजना बना रहा है। ग्राम पंचायत प्रतिनिधि हेमंत चौहान ने कहा कि दरगाह को लेकर कभी कोई आपत्ति नहीं थी।
स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव में हमेशा हिंदू-मुस्लिम भाईचारा रहा है, लेकिन किसी भी अनाधिकृत कब्जे को प्रशासन द्वारा हटाना जरूरी था।