महाराष्ट्र में दो वर्षीय बच्ची के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए दोषी की दया याचिका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अस्वीकार कर दी है। राष्ट्रपति पद संभालने के बाद यह तीसरा अवसर है, जब किसी दोषी की दया याचिका खारिज की गई है। राष्ट्रपति भवन से जारी जानकारी के अनुसार, दोषी रवि अशोक घुमारे की याचिका 6 नवंबर 2025 को नामंजूर की गई।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्तूबर 2019 को दोषी को दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी ने अपनी यौन इच्छाओं पर कोई नियंत्रण नहीं रखा और अपनी वासना के लिए सभी मानवीय, सामाजिक और कानूनी सीमाओं को तोड़ दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया ‘अत्यंत क्रूर अपराध’
सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से यह निर्णय दिया था। पीठ की अध्यक्षता उस समय न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने की थी, जो वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। बहुमत के फैसले में कहा गया था कि आरोपी ने एक ऐसे जीवन को निर्ममता से समाप्त कर दिया, जिसे अभी खिलना था।
अदालत ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया था कि दो वर्ष की मासूम बच्ची को अगवा कर चार से पांच घंटे तक अमानवीय प्रताड़ना दी गई, जिसके चलते उसकी मृत्यु हो गई। न्यायालय ने इस कृत्य को घिनौना, विकृत मानसिकता का परिचायक और समाज की मूल मान्यताओं को झकझोरने वाला अपराध बताया था।
घटना 2012 की, ट्रायल कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक सजा बरकरार
अभियोजन के अनुसार, यह जघन्य वारदात 6 मार्च 2012 को महाराष्ट्र के जालना शहर के इंदिरा नगर क्षेत्र में हुई थी। आरोपी ने बच्ची को चॉकलेट का लालच देकर अगवा किया था। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराते हुए 16 सितंबर 2015 को मृत्युदंड सुनाया। इसके बाद जनवरी 2016 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा।