पुणे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दिए गए बयान ने सियासी हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है। चव्हाण ने दावा किया कि सैन्य अभियान के शुरुआती दिन ही भारत को रणनीतिक झटका लगा था और हवाई मोर्चे पर भारतीय वायुसेना को नुकसान उठाना पड़ा। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं।

पुणे में आयोजित प्रेस वार्ता में चव्हाण ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जमीनी स्तर पर कोई बड़ी गतिविधि देखने को नहीं मिली और संघर्ष मुख्य रूप से हवाई तथा मिसाइल हमलों तक सीमित रहा। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब युद्ध की प्रकृति तेजी से बदल रही है और लड़ाई हवा में लड़ी जा रही है, तो इतनी बड़ी थल सेना की आवश्यकता पर पुनर्विचार होना चाहिए।

माफी मांगने से किया इनकार
बयान पर बढ़ते विवाद के बीच पृथ्वीराज चव्हाण ने माफी मांगने की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सवाल उठाना उनका संवैधानिक अधिकार है और वह अपने बयान से पीछे नहीं हटेंगे। चव्हाण ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी संस्था का याद नहीं, बल्कि नीतियों पर चर्चा को आगे बढ़ाना है।

बीजेपी का तीखा पलटवार
भाजपा ने चव्हाण के बयान को सशस्त्र बलों का अपमान करार देते हुए कड़ी आलोचना की। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस के नेता बार-बार सेना पर सवाल उठाकर उसका मनोबल गिराने की कोशिश करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे बयान कांग्रेस नेतृत्व की सोच को दर्शाते हैं और इसी कारण पार्टी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती।

भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां देशहित के लिए नुकसानदेह हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर रक्षा और राजनीति के संबंधों पर बहस को केंद्र में ला दिया है।