शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने सरकारी हस्तक्षेप से बन रही हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारियों के चुनाव को रद्द करने का एलान किया है। धामी ने कहा कि सिख समुदाय ऐसी किसी भी सरकारी कमेटी को स्वीकार नहीं करता और भविष्य में भी नहीं करेगा। एसजीपीसी और सिख इसका विरोध जारी रखें।

एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि सिख विरोधी शक्तियों और सरकारों के हस्तक्षेप को गुरुद्वारा प्रबंधों में इजाजत दी जा रही है। एसजीपीसी से अलग होकर बनी अलग हरियाणा सिख गुरुद्वारा कमेटी सिखों के हित में नहीं है। सरकार द्वारा इस कमेटी का गठन पंथक संस्थाओं को तोड़ने की चाल है। सिख समुदाय द्वारा शुरू से ही आशंका व्यक्त की जा रही है कि आरएसएस और उसका राजनीतिक विंग भाजपा सिखों के धार्मिक प्रबंधों को अपने अनुसार चलाना चाहती है। अब व्यक्त की जा रही इस आशंका की पुष्टि हरियाणा सरकार द्वारा अपने पदाधिकारियों के चुनाव से हो गई है।

धामी ने कहा कि जानकारी के अनुसार यह चुनाव हरियाणा सरकार द्वारा गुरुघर के बजाय कुरुक्षेत्र के डीसी कार्यालय में कराया गया है। इससे साबित होता है कि हरियाणा कमेटी का पंथक सरोकार से कोई संबंध नहीं है। सरकार का सीधा गुरुद्वारा प्रबंधों में हस्तक्षेप है। सरकारी कार्यालयों में पंथक कार्यक्रम नहीं होते बल्कि पंथक परंपराओं के अनुसार गुरु साहिब की उपस्थिति में ही धार्मिक संस्थाओं के चुनाव किए जाते हैं।

धामी ने कहा कि हमने पहले कहा था कि हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी को आरएसएस के इशारे पर स्थापित किया जा रहा है जिसकी पुष्टि हो गई है। केंद्र सरकार के साथ-साथ हरियाणा की भाजपा सरकार सिख मुद्दों को सीधे अपने हाथ में लेना चाहती है, प्रबंध अपनी मनमर्जी से चलाना चाहती है। लेकिन सिख समुदाय का इतिहास है कि उसने कभी भी सरकारी दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की।

धामी ने हरियाणा के सिख नेताओं को आरएसएस के चंगुल से बाहर निकलकर आपसी एकता दिखा वही रास्ता अपनाना चाहिए जो वहां के नेता जगदीश सिंह झींडा ने अब दिखाया है। इस मामले में हरियाणा के सिख नेताओं को श्री अकाल तख्त साहिब के नेतृत्व में आकर चर्चा और संवाद को आगे बढ़ाना चाहिए।