लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ईईएसएल (एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड) द्वारा लगाए गए 12.04 लाख स्मार्ट मीटरों में से सक्रिय 11.32 लाख मीटर अब रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बदल दिए जाएंगे। पुराने टू-जी नेटवर्क आधारित मीटर धीमी गति से काम कर रहे थे और कई तकनीकी समस्याओं के चलते उनका उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा था।

पावर कारपोरेशन ने इस बदलाव का निर्णय लिया है, जिसे मार्च 2027 तक पूरा किया जाएगा। वर्तमान में इन मीटरों पर प्रतिवर्ष लगभग 137 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है, जो पिछले सात वर्षों में लगभग 959 करोड़ रुपये हो चुका है। नए प्रीपेड स्मार्ट मीटर की लागत प्रति मीटर 6,016 रुपये होने के कारण कुल अतिरिक्त खर्च लगभग 681 करोड़ रुपये आएगा।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि टू-जी मीटरों की तकनीकी खामियों का असर उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने ईईएसएल परियोजना में शामिल सभी अधिकारियों और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कराने और दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।

अवधेश वर्मा ने बताया कि अगस्त 2020 में जन्माष्टमी के दिन पुराने मीटरों में से 1.58 लाख मीटर अचानक बंद हो गए थे। इसके बाद विद्युत नियामक आयोग ने इन मीटरों को उच्च तकनीकी (फोर-जी) में परिवर्तित करने का आदेश दिया था। तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी परिषद के विचारों को सही ठहराया था, लेकिन एसटीएफ जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।