अवैध धर्मांतरण के नेटवर्क से जुड़े मामलों की जांच में एक बार फिर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। गोवा निवासी एसबी कृष्णा, जिसने बाद में अपना नाम आयशा रख लिया, कथित तौर पर एक बड़े धर्मांतरण मॉड्यूल का हिस्सा बनी। सूत्रों के अनुसार, एमएससी डाटा साइंस की पढ़ाई के दौरान वह पंजाब यूनिवर्सिटी में कश्मीरी छात्राओं के संपर्क में आई, जहां उसके सोचने-समझने के तरीके को प्रभावित किया गया।
पुलिस जांच में पता चला है कि आयशा को गिरोह के लिए फंड मुहैया कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। उसे आर्थिक सहायता दिल्ली निवासी अब्दुल रहमान से मिलती थी। आयशा ने सोशल मीडिया पर कई व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हुए थे, जिनके माध्यम से वह अन्य लोगों से संपर्क में रहती थी। आगरा पुलिस ने जब उसे हिरासत में लिया, तो उससे कई स्थानों पर पूछताछ की गई।
आयशा ने कबूला कि वह 2020 में पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी, तभी कश्मीरी छात्राओं से उसकी नज़दीकी बढ़ी। इन छात्राओं के साथ वह कुछ समय के लिए कश्मीर भी गई थी, लेकिन वहां असहज महसूस करने के कारण दिल्ली लौट आई। उसके परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी और बाद में एक युवक मुस्तफा को इस सिलसिले में जेल भी भेजा गया था।
कुछ समय तक परिवार से संपर्क में रहने के बाद आयशा फिर से उसी गिरोह से जुड़ गई और कोलकाता जाकर धर्मांतरण करा लिया। इसके बाद वह सक्रिय रूप से फंडिंग में लगी रही। पुलिस को उससे कई और जानकारियां भी मिली हैं जिनकी जांच जारी है।
प्यार के जाल में फंसकर धर्म बदला, फिर जुड़ा पीएफआई से
पुलिस ने जयपुर निवासी पियूष पंवार उर्फ मोहम्मद अली को भी गिरफ्तार किया है। वर्ष 2021 में टोंक की एक युवती के संपर्क में आने के बाद उसने धर्म बदल लिया था। युवती से संबंध टूटने के बाद वह कलीम सिद्दीकी के संपर्क में आया और उसके माध्यम से पीएफआई से जुड़ गया। कोलकाता में वह धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने लगा और बाद में आयशा के संपर्क में आकर उससे फंड लेकर नए लोगों को गिरोह में जोड़ने लगा। पुलिस के अनुसार वह अब ‘घर वापसी’ चाहता है और पूछताछ जारी है।
इंस्टाग्राम से प्रचार, डाक से भेजा साहित्य
धर्मांतरण के मामले में आरोपी रीथ बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम पर आरोप है कि उसने आगरा की दो बहनों को कोलकाता ले जाने की व्यवस्था की। वहां पहुंचने पर वह उन्हें इंस्टाग्राम पर वीडियो और डाक से धार्मिक साहित्य भेजता रहा।
दिल्ली से मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी
आगरा की सगी बहनों के धर्मांतरण मामले में पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल रहमान को दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके से गिरफ्तार किया। वह न केवल गोवा की आयशा को आर्थिक सहायता देता था, बल्कि मौलाना कलीम सिद्दीकी के गिरोह का प्रमुख संचालक भी था। रहमान के घर से रोहतक की एक लापता युवती भी मिली है, जिससे धर्मांतरण की आशंका है। पुलिस को उसके घर से प्रेरणात्मक धार्मिक पुस्तकें और साहित्य बरामद हुआ है।
अब्दुल रहमान की असली पहचान: पहले ईसाई बना, फिर मुसलमान
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, अब्दुल रहमान का असली नाम महेंद्र पाल जादौन है। फिरोजाबाद के रामगढ़ गांव में जन्मा महेंद्र पहले ईसाई बना और 1990 में इस्लाम कबूल कर दिल्ली में बस गया। वहां उसकी मुलाकात मौलाना कलीम सिद्दीकी से हुई और धीरे-धीरे वह उसके नेटवर्क का सक्रिय सदस्य बन गया।
घर से मिला बड़ा जखीरा, कई पुस्तकों के जरिए चल रहा था प्रचार
पुलिस ने रहमान के दो मंजिला मकान की तलाशी में ‘इस्लाम और बहुजन समाज’, ‘ईश्वर और सृष्टि कौन श्रेष्ठ’, ‘आपकी अमानत आपकी सेवा में’, ‘आतंकवाद और इस्लाम’ जैसी किताबें जब्त की हैं। इनमें से अधिकतर साहित्य कलीम सिद्दीकी और जाकिर नाइक से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि इन्हीं माध्यमों से धर्मांतरण का प्रचार किया जाता था।
कलीम सिद्दीकी को पहले ही हो चुकी है उम्रकैद
मालूम हो कि मौलाना कलीम सिद्दीकी को यूपी एटीएस ने 2021 में सामूहिक धर्मांतरण केस में गिरफ्तार किया था। बाद में कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उसने डाक्टरी छोड़कर धार्मिक प्रचार को अपना जीवन बना लिया था और विदेशी फंडिंग से ट्रस्ट और मदरसे चलाता था। उसी के नेटवर्क से अब्दुल रहमान और आयशा जैसे कई चेहरे जुड़े हुए थे।