इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने किशोरों को यौन स्वास्थ्य और प्रजनन शिक्षा देने वाली केंद्र और राज्य की योजनाओं पर जवाब न देने पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में बेहतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए 15 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया।

साथ ही, केंद्र सरकार की ओर से सुनवाई में किसी के न आने और मांगे गए जवाब न दाखिल करने पर संबंधित केंद्रीय विभागों पर भी 15 हजार रुपये का हर्जाना लगाया गया। पहले कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि किशोरावस्था शिक्षा योजना के तहत आम लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए क्या कदम उठाए गए। इसके जवाब में सहायक सचिव प्रेम चंद्र कुशवाहा ने हलफनामा दाखिल किया, लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुआ और अफसर को हर्जाना जमा करने का आदेश दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने नैतिक पार्टी की ओर से विनोद कुमार सिंह और एक अन्य द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर दिया। याचिका में केंद्र की किशोरावस्था शिक्षा योजना-2005 को प्रभावी रूप से प्रदेश में लागू करने का आग्रह किया गया था।

याचियों के अधिवक्ता चंद्र भूषण पांडेय ने बताया कि 10 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों में शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। ऐसे में यौन स्वास्थ्य और प्रजनन संबंधी सही मार्गदर्शन जरूरी है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय योजना के बावजूद राज्य में इसका समुचित क्रियान्वयन नहीं हो रहा और इसके प्रभावी अमल के निर्देश राज्य सरकार को देने चाहिए।