अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद ने राम मंदिर में धर्म ध्वजा स्थापना समारोह में उन्हें शामिल न किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उनके दलित समाज से होने के कारण लिया गया और इसे “राम की मर्यादा नहीं बल्कि संकीर्ण सोच” का परिचायक बताया। सांसद ने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी पद या निमंत्रण की नहीं, बल्कि सम्मान, समानता और संविधान की मर्यादा की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अयोध्या पहुंचे और रामलला के दरबार में वैदिक मंत्रोच्चार और “जय श्री राम” के नारों के बीच केसरिया धर्म ध्वज फहराया। इस अवसर पर मंदिर का निर्माण औपचारिक रूप से पूरा हो गया। पीएम मोदी ने इसे युगांतकारी क्षण बताते हुए कहा कि 500 साल पुराना संकल्प अब सिद्ध हुआ है और सदियों के जख्म भर रहे हैं।
अवधेश प्रसाद बोले- संकीर्ण सोच का परिचय
ध्वजारोहण समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। हालांकि, स्थानीय सांसद अवधेश प्रसाद को कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि राम मंदिर में धर्म ध्वजा स्थापना समारोह में उन्हें न बुलाना किसी ओर की संकीर्ण मानसिकता का उदाहरण है।
उन्होंने एक दिन पहले भी कहा था कि यदि उन्हें न्योता मिलता तो वे सारा काम छोड़कर नंगे पांव वहां जाते। बावजूद इसके उन्हें समारोह में शामिल नहीं किया गया।
मंदिर निर्माण की पूरी कहानी
प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर की नींव 5 अगस्त 2020 को रखी थी और 22 जनवरी 2022 को मंदिर का उद्घाटन किया गया था। उस समय मंदिर के निर्माण के बाकी हिस्से अधूरे थे, इसलिए धर्म ध्वजा फहराया नहीं गया था। अब मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो गया है और इस ऐतिहासिक अवसर पर धर्म ध्वजा स्थापना का आयोजन किया गया।