लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसको लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि इस कानून से भारत के मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं है बल्कि यह कानून उन लोगों से संबंध रखता है, जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश , श्रीलंका और म्यांमार से आए हैं और यहां अवैध रूप से रह रहे हैं।
बरेली के मौलाना ने कहा कि यह कानून केंद्र सरकार बहुत पहले लेकर आई थी। लागू करना चाहती थी मगर हकीकत को समझे बगैर देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होने की वजह से लागू नहीं हो सका। मगर अब सरकार इस कानून को लागू करना चाहती है। इसके अध्ययन से पता चला कि इस कानून से भारत के मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं है। इसमें भारत में रह रहे करोड़ों मुसलमानों की नागरिकता पर कोई प्रशन चिंह नहीं उठाया गया है। यह कैसे मुमकिन हो सकता है कि यहां सदियों से रह रहे मुसलमानों की नागरिकता को छीन लिया जाएगा। अगर भविष्य में ऐसा कोई कानून बनाया जाता है तो देश के हालात खराब हो सकते हैं। कोई भी सरकार ऐसा कदम नहीं उठा सकती है।
सपा सांसद को दी नसीहत
शहाबुद्दीन रजवी ने सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के बयान पर तीखी प्रक्रिया दी है, जिसमें बर्क ने कहा था कि सीएए लागू हुआ तो हालात खराब हो जाएंगे। मौलाना ने कहा कि डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क मुसलमानों को डरा रहे हैं और गुमराह कर रहें हैं। उनको एक बार कानून का मसौदा पढ़ लेना चाहिए। उसके बाद उनको समझ में आ जाएगा कि असल हकीकत क्या है। कानून का बैगर अध्धयन किए धमकी देना किसी सांसद के लिए शोभा नहीं देता है।
मौलाना ने आगे कहा कि इस कानून से मुसलमानों को घबराने और परेशान होने की जरूरत नहीं है। कुछ राजनीतिक लोगों का सिर्फ यह मकसद रह गया है कि वह मुसलमानों का वोट हासिल करने के लिए जज्बाती, भड़काऊ और बेबुनियाद बयानबाजी करते हैं, मगर अब सियासी हालात बहुत बदल चुके हैं।