उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने बुधवार को प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर गंभीर असंतोष जताया। उन्होंने हाल ही में प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर ज़मीनी हालात का जायज़ा लिया, जिसमें उन्हें व्यवस्थाओं में कई खामियां नजर आईं। इसके बाद उन्होंने UPPCL चेयरमैन सहित राज्य भर के अधीक्षण अभियंताओं (एक्सईएन) की बैठक बुलाई। बैठक में मंत्री का तेवर सख्त रहा और उन्होंने अधिकारियों को कठोर शब्दों में फटकार लगाई।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि फील्ड से मिल रही वास्तविकता और अफसरों की प्रस्तुत रिपोर्टों में भारी अंतर है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “आप लोग अंधे, बहरे और निष्क्रिय होकर बैठे हैं। जनता किन समस्याओं से जूझ रही है, इसकी कोई जानकारी नहीं है।”
“जनता के प्रति जवाबदेह हूं, न कि आपकी सफाई सुनने आया हूं”
बैठक के दौरान मंत्री ने कहा, “मैं आपकी सफाई सुनने नहीं बैठा हूं। ज़मीनी हकीकत बिलकुल अलग है। मैं दौरे से लौटा हूं, हर जिले में लोगों की नाराज़गी साफ नजर आई है।” उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग केवल बिल वसूली का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जनसेवा से जुड़ा हुआ तंत्र है और उसी भावना से इसे चलाना होगा।
“बिजली विभाग को कोई ठेका नहीं मिला हमें बदनाम करने का”
ए.के. शर्मा ने कुछ अधिकारियों पर गलत रिपोर्ट देने, उपभोक्ताओं को अनावश्यक परेशान करने और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा, “72 करोड़ का बिजली बिल एक आम उपभोक्ता को भेज दिया जाता है, फिर उसे ठीक कराने के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं। बड़ी चोरी की जगहों पर कार्रवाई नहीं होती, बल्कि छोटे उपभोक्ताओं को टारगेट किया जाता है।”
“अब सिर्फ मौखिक चेतावनी नहीं चलेगी”
मंत्री ने स्पष्ट कहा कि अब लिखित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि विभाग की मनमानी को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। “आपके फैसलों का असर पूरे प्रदेश की छवि पर पड़ता है, और मुझे विधानसभा में जनता को जवाब देना होता है,” उन्होंने कहा।
ऊर्जा मंत्री ने संविदा कर्मियों की छंटनी, कॉल रिस्पॉन्स में लापरवाही और विद्युत दुर्घटनाओं जैसे मामलों पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह सब अनदेखा नहीं किया जाएगा और यदि आवश्यक हुआ तो जिम्मेदारों पर कठोर कदम उठाए जाएंगे।