लखनऊ। प्रदेश सरकार ने पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह आयोग बेसिक, एडेड माध्यमिक, एडेड महाविद्यालयों, अल्पसंख्यक कॉलेजों और अटल आवासीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती की जिम्मेदारी संभालता है। नए अध्यक्ष की तैनाती से लंबे समय से अटकी भर्ती प्रक्रियाओं में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है।
उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव गिरिजेश त्यागी की ओर से बुधवार को नियुक्ति से संबंधित आदेश जारी किया गया। पदभार ग्रहण करने के बाद डॉ. प्रशांत कुमार ने कहा कि आयोग की प्राथमिकता पारदर्शिता और मेरिट के आधार पर भर्तियों को समयबद्ध ढंग से पूरा करना होगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जिन पदों के लिए अधियाचन आयोग को प्राप्त हो चुके हैं, उनकी चयन प्रक्रिया शीघ्र शुरू कर पूरी की जाएगी, ताकि अभ्यर्थियों को किसी तरह की परेशानी न हो।
भर्ती प्रक्रिया को लेकर लंबे समय से चल रहा था असंतोष
प्रदेश सरकार ने विभिन्न स्तरों पर संचालित एडेड कॉलेजों में शिक्षक भर्ती के लिए इस आयोग का गठन किया था। पांच सितंबर 2024 को गोरखपुर विश्वविद्यालय की प्रो. कीर्ति पांडेय को आयोग का पहला अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन उन्होंने 22 सितंबर 2025 को व्यक्तिगत कारणों से पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद लंबे समय तक आयोग में नियुक्ति न होने के कारण भर्तियां शुरू नहीं हो सकीं, जिससे अभ्यर्थियों में असंतोष बढ़ा और कई बार धरना-प्रदर्शन भी हुए।
शैक्षणिक और प्रशासनिक अनुभव का लंबा सफर
डॉ. प्रशांत कुमार 31 जनवरी 2024 से 31 मई 2025 तक उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एप्लाइड जियोलॉजी में एमएससी की डिग्री हासिल की है, जिसमें उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला। इसके अलावा उन्होंने डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए और नेशनल डिफेंस कॉलेज से डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज में एमफिल किया है। मूल रूप से बिहार निवासी डॉ. प्रशांत कुमार का चयन 1990 बैच की भारतीय पुलिस सेवा में हुआ था।
उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीआईएसएफ और आईटीबीपी में भी सेवाएं दी हैं। पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने नवाचारों के जरिए कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी बनाया। एडीजी मेरठ जोन रहते हुए अपराध नियंत्रण को लेकर कड़े कदम उठाए और डीजीपी के रूप में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा, महाकुंभ और जी-20 जैसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा प्रबंधन की अहम भूमिका निभाई।
कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपति का वीरता पदक सहित कई सम्मान भी प्राप्त हो चुके हैं। अब शिक्षा सेवा चयन आयोग की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही उनसे शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को नई गति देने की उम्मीद की जा रही है।