वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। यह सुनवाई मस्जिद परिसर में स्थित वजूखाने का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने की मांग को लेकर दायर एक याचिका पर केंद्रित है।
इस याचिका को श्रृंगार गौरी मामले की याचिकाकर्ता राखी सिंह द्वारा दाखिल किया गया है, जिसमें उन्होंने वर्ष 2023 में वाराणसी सिविल कोर्ट द्वारा सर्वे संबंधी याचिका को खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी है। राखी सिंह का आग्रह है कि जिस प्रकार परिसर के अन्य हिस्सों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया गया था, उसी तरह वजूखाने का भी सर्वे कराया जाए, जिससे तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट हो सके।
गौरतलब है कि मई 2022 में मस्जिद परिसर में एक संरचना के सामने आने के बाद विवाद और गहरा गया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह संरचना एक शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह एक पारंपरिक फव्वारा मात्र है। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने उस समय वजूखाने को सील करने का निर्देश दिया था।
एएसआई ने किया था सीमित क्षेत्र का सर्वे
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा 24 जुलाई से 2 नवंबर 2023 के बीच ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया गया था। हालांकि, वजूखाना क्षेत्र, जिसे लेकर सबसे अधिक विवाद है, उसे उस सर्वे से बाहर रखा गया था। अब मंदिर पक्ष की मांग है कि धार्मिक चरित्र की सटीकता निर्धारित करने हेतु वजूखाने का सर्वे आवश्यक है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ज्ञानवापी मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित है और इतिहास में इसे मुगल काल से जुड़ा हुआ बताया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि वर्ष 1669 में औरंगजेब ने प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त कर इस मस्जिद का निर्माण कराया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि मंदिर के अवशेष आज भी मस्जिद परिसर में मौजूद हैं, जिसमें शिव का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भी शामिल है।
यही दावा इस पूरे विवाद की मूल वजह है। इस मुद्दे को लेकर वर्ष 1991 में पहला मुकदमा दायर किया गया था, जिसके बाद से यह मामला न्यायिक प्रक्रिया और सार्वजनिक विमर्श में बना हुआ है।
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