भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने हालिया विश्वकप में शानदार प्रदर्शन कर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। लेकिन उनकी सफलता के पीछे केवल अभ्यास ही नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक प्रेरणा भी रही।
दीप्ति के पिता श्रीभगवान शर्मा ने बताया कि पिछले साल मथुरा यात्रा के दौरान दीप्ति की मुलाकात संत प्रेमानंद महाराज से हुई थी। वहां उन्होंने जीवन में आने वाली नकारात्मकता से बचने का उपाय पूछा था। संत ने उन्हें सलाह दी थी कि “जिस क्षेत्र में सफलता चाहिए, उस क्षेत्र में रोज अभ्यास करो। सच्चा और ईमानदार व्यक्ति हार में भी विजयी रहता है।”
पिता ने बताया कि जब भारतीय टीम लगातार तीन मैच हार गई थी, तब दीप्ति ने पूरे जोश से कहा था कि यह हार ही उनकी जीत की ताकत बनेगी। उस क्षण ने पूरी टीम को फिर से आत्मविश्वास से भर दिया।
विश्वकप जीत के बाद भावुक दीप्ति ने कहा, “जब से मैंने टीम इंडिया के लिए खेलना शुरू किया था, तभी से सपना था कि भारत विश्वकप जीते और उस जीत में मेरा योगदान हो। आज वह सपना साकार हो गया। प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनना मेरे लिए गर्व की बात है।”
जश्न के बीच दीप्ति ने सोमवार को अपनी मां सुशीला देवी, बहन प्रगति और भांजी राधा से वीडियो कॉल पर बातचीत की। उन्होंने कहा, “इस जीत की खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। टूर्नामेंट की सबसे बड़ी बात यह रही कि हर मैच में कोई न कोई खिलाड़ी भारत की जीत का नायक बना।”
भारत की यह जीत दीप्ति की मेहनत, संयम और सकारात्मक सोच का प्रतीक बन गई है — एक ऐसा उदाहरण जो हर खिलाड़ी को यह संदेश देता है कि सच्ची साधना और विश्वास से कोई भी मंज़िल पाई जा सकती है।