बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को ट्वीट कर भारत में अब तक एक भी प्रधानमंत्री दलित समाज से न बन पाने पर सवाल उठाया है। उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक के अन्ततः ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचने पर यहां कांग्रेस व बीजेपी में ट्विटर वॉर, आरोप-प्रत्यारोप व इधर-उधर की बात जारी है, किन्तु उस राजनीतिक हक व इंसाफ की बातें नहीं की जा रही हैं जिस कारण देश में अभी तक कोई दलित पीएम नहीं बन पाया है।
ऐसे समय जब अमेरिका व यूरोप के अमीर व विकसित देश जबर्दस्त संकटों के बुरे दौर से जूझ रहे हैं और स्थिति को संभालने के लिए नित्य नए प्रयोग कर रहे हैं। भारतीय हुक्मरानों को भी देशहित व यहां की जनता के भविष्य के लिए अपनी संकीर्ण एवं जातिवादी सोच को त्यागना ही होगा।
इसी क्रम में यह जांच-परख जरूरी है कि दलित, पिछड़े व उपेक्षितों का सच्चा हितैषी कौन है? क्या परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भुलाकर उनके करोड़ों अनुयाइयों का कोई असली हितैषी हो सकता है जैसाकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित अन्य विरोधी नेतागण उनकी पार्टी की संकीर्ण सोच से मजबूर हैं।