उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या में 9वां दीपोत्सव भव्य रूप से मनाया। इस अवसर पर भगवान राम के जीवन पर आधारित 21 झांकियों का प्रदर्शन हुआ, 3D लाइट शो आयोजित किया गया और 2,128 अर्चकों ने एक साथ महाआरती की। पूरे कार्यक्रम के दौरान करीब 26 लाख दीयों को जलाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया।

सरकार के अनुसार, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अधिकारियों ने ड्रोन के माध्यम से दीयों की गिनती की पुष्टि की और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह तथा प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को औपचारिक रूप से प्रमाणपत्र प्रदान किया।

हालांकि दीपोत्सव की भव्यता के बीच कुछ विरोधाभासी दृश्य भी सामने आए। दीयों के जलने के बाद सैकड़ों लोग इनसे बचा हुआ तेल इकट्ठा करते दिखाई दिए। इस पर राजनीति भी गर्म हो गई है।

सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा, “सच तो ये दृश्य हैं, वो नज़ारा नहीं जिन्हें दिखाकर लोग चले गए। रोशनी के बाद का ये अंधेरा अच्छा नहीं।” उन्होंने पहले भी दीपोत्सव पर होने वाले खर्च को लेकर सवाल उठाए थे और इसे ऐसे काम में लगाने की बात कही थी, जिससे आम लोगों की जिंदगी में स्थायी उजाला बने।

वहीं, कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने दीपोत्सव के बाद दीयों को बुझाते हुए सफाई कर्मचारियों का वीडियो साझा किया और कहा, “जलते दीयों को बुझाना अधर्म है और ये अधर्म भाजपा सरकार कर रही है। सनातन धर्म में जलते हुए दीयों को बुझाना अशुभ माना जाता है, लेकिन सरकार विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए उन्हें जलाती भी है और फिर बुझा कर अशुभता फैलाती है।”

दीपोत्सव ने भले ही अयोध्या की सड़कों और गलियों को जगमग कर दिया हो, लेकिन इसके बाद की तस्वीरों ने राज्य के गरीबों और उनके जीवन में मौजूद अंधकार को भी उजागर कर दिया।