उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार सुबह श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। भगवान शिव को समर्पित इस प्रमुख ज्योतिर्लिंग मंदिर का शीतकालीन अवकाश हर वर्ष भारी बर्फबारी के चलते होता है, और अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर विशेष पूजन के साथ फिर से खोला जाता है। कपाटोद्घाटन की इस परंपरा में उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से बाबा केदार की डोली भव्य शोभायात्रा के साथ धाम तक लाई जाती है।

भव्य सजावट और श्रद्धा की बयार

इस पावन मौके पर मंदिर परिसर को फूलों से सजाया गया, जहां करीब 108 क्विंटल फूलों का इस्तेमाल हुआ। गुलाब, गेंदा सहित 54 प्रजातियों के फूल भारत के विभिन्न राज्यों और नेपाल, थाईलैंड व श्रीलंका जैसे देशों से मंगवाए गए। सजावट की जिम्मेदारी वडोदरा के सृजल व्यास के नेतृत्व में 150 स्वयंसेवकों की टीम ने निभाई। खास बात यह रही कि कोलकाता के एक गांव से लाए गए गेंदे के फूल लंबे समय तक ताजगी बनाए रखते हैं, जिससे मंदिर की शोभा बनी रहे।

नई शुरुआत: मंदाकिनी-सरस्वती संगम पर आरती

केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ विजय थपलियाल ने बताया कि इस बार एक नई परंपरा की शुरुआत की जा रही है—काशी और हरिद्वार की तर्ज पर अब यहां मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के संगम पर भव्य गंगा आरती का आयोजन होगा। श्रद्धालुओं के लिए तीन तरफ रैंप भी तैयार किए गए हैं ताकि वे संगम दर्शन कर सकें।

कलाकारों और परंपरा का संगम

मंदिर की सजावट में पश्चिम बंगाल के 35 कलाकारों ने भी भाग लिया। मंदिर के सामने स्थित नंदी की प्रतिमा और पास में विराजमान आदि शंकराचार्य की मूर्ति को भी पुष्पों से सजाया गया है। सुबह सात बजे मंदिर के कपाट खुलते ही हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मुख्य पुजारी भीमाशंकर लिंग के अनुसार, मंदिर में तैयारियां तड़के छह बजे से शुरू हो गई थीं।