नई दिल्ली। केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (GST) के ढांचे में जल्द ही महत्वपूर्ण बदलाव कर सकती है, जिससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब के पुनर्गठन पर विचार कर रही है। योजना के तहत, इस टैक्स स्लैब में शामिल अधिकतर दैनिक उपयोग की वस्तुओं को या तो 5 प्रतिशत के स्लैब में लाया जा सकता है या फिर 12 प्रतिशत का स्लैब ही समाप्त किया जा सकता है।
इन बदलावों का सीधा लाभ उन परिवारों को मिल सकता है, जो मध्यम और निम्न आय वर्ग में आते हैं और जिनकी घरेलू जरूरतें 12 प्रतिशत टैक्स के दायरे वाले उत्पादों से जुड़ी हैं। बताया जा रहा है कि इस पर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद की अगली बैठक में हो सकता है, जो इसी महीने बुलाए जाने की संभावना है। परिषद की बैठक से पहले राज्यों को 15 दिन का नोटिस दिया जाता है।
GST प्रणाली में बदलाव की तैयारी
वर्ष 2017 में देशभर में जीएसटी व्यवस्था लागू की गई थी, जिससे विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत किया गया। अब इस व्यवस्था को आठ साल पूरे होने के बाद केंद्र सरकार इसे सरल और उपभोक्ता हितैषी बनाने के उद्देश्य से संशोधित करने की योजना बना रही है।
12 प्रतिशत टैक्स वाले स्लैब को हटाकर इसमें आने वाले उत्पादों—जैसे जूते-चप्पल, मिठाई, कुछ परिधान और डेयरी उत्पादों—को 5 प्रतिशत स्लैब में लाया जा सकता है। इससे ये उत्पाद सस्ते हो सकते हैं।
लक्जरी वस्तुओं पर भी हो सकता है बदलाव
साथ ही, वर्तमान में जिन महंगे उत्पादों जैसे कारें, पान मसाला, तंबाकू और कोल्ड ड्रिंक्स पर अतिरिक्त उपकर (सेस) लगाया जाता है, उन्हें सीधे जीएसटी दरों में समाहित करने की योजना भी पर चर्चा हो रही है।
इस बदलाव के परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को कीमतों में पारदर्शिता मिलेगी, कर संग्रह में बढ़ोतरी होगी और कारोबारियों के लिए टैक्स प्रक्रिया आसान हो सकती है। यदि सभी राज्य इस प्रस्ताव पर सहमत हो जाते हैं, तो आने वाले महीनों में देशभर में कई आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
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