गाजियाबाद के मोदीनगर की विश्वकर्मा कॉलोनी में 16 अक्तूबर को किन्नरों के चालक एहसान की हत्या के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पुलिस ने रविवार को दो आरोपियों — मेजर उर्फ जावेद और सुहेल — को गिरफ्तार कर वारदात का पर्दाफाश किया। पुलिस के अनुसार हत्या बदले की भावना में की गई थी, जबकि चार अन्य आरोपी अभी फरार हैं।

भाई की हत्या का बदला लेने के लिए रची साजिश
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपियों ने अपने भाई अलबख्श की हत्या का बदला लेने के लिए यह हत्या की। एक मार्च को बधाई विवाद के चलते एहसान और किन्नर निशा पर अलबख्श की हत्या का आरोप लगा था। दोनों आरोपी जेल में बंद थे और हाल ही में जमानत पर बाहर आए थे। जैसे ही एहसान बाहर आया, अलबख्श के परिजनों ने उसकी रेकी शुरू कर दी। 16 अक्तूबर को जब एहसान अपनी परिचित किन्नर निशा के साथ विश्वकर्मा कॉलोनी स्थित अपने बंद मकान की सफाई करने पहुंचा, तभी घात लगाए बैठे छह से अधिक हमलावरों ने उस पर गोलियां बरसा दीं। एहसान के सिर में चार गोलियां लगीं और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

दो आरोपी पुलिस गिरफ्त में, चार अब भी फरार
एसीपी मोदीनगर अमित सक्सेना के अनुसार, मामले की जांच के लिए छह टीमें गठित की गई थीं। रविवार को पुलिस ने तिबड़ा मार्ग पुलिया के पास से मेजर उर्फ जावेद और सुहेल, दोनों निवासी गांव मछरी थाना भोजपुर, को गिरफ्तार किया। उनके कब्जे से एक तमंचा बरामद किया गया है। पुलिस के मुताबिक, शेष आरोपी सादिम, राशिद, किन्नर पूजा और मोमीन की तलाश जारी है, जबकि एक अन्य आरोपी आबिद पहले से जेल में बंद है।

मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा आबिद
एहसान के परिजनों ने आरोप लगाया है कि आबिद, जो मृतक अलबख्श का पिता है, ने ही हत्या की साजिश रची थी। बताया गया कि हत्या से दो दिन पहले आबिद ने पुराने मामले में खुद की जमानत तुड़वाकर जेल चला गया, ताकि वारदात में अपनी संलिप्तता से बच सके।

खुली पुलिस की लापरवाही
हत्याकांड के दस दिन बाद जब पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो यह भी सामने आया कि आरोपी वारदात के बाद से ही खुलेआम क्षेत्र में घूम रहे थे। पुलिस ने जिन दो आरोपियों को पकड़ा, वे थाने से महज एक किलोमीटर की दूरी पर घूमते हुए मिले। स्थानीय लोगों ने पुलिस की देरी पर सवाल उठाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।