महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. कहते हैं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए कुछ स्थानों पर महादेव के विवाह के लिए बारात भी निकालने की परंपरा है. हर जगह इस दिन अलग-अलग तरह से पूजा की जाती है, लेकिन हर में शुभ मुहूर्त में पूजा करने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि शिवारात्रि के दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से पूजा करने वालों के जीवन में चल रही तमाम परेशनियां दूर होती हैं. वहीं विवाह में आ रही बाधाएं दूरी होती है. इसके अलावा भगवान शिव की कृपा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है.
महाशिरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन निशिता काल में पूजा करने का खास महत्व है. पंचांग के अनुसार, इस दिन निशिता काल 26 फरवरी की रात 12 बजकर 9 मिनट से लेकर 12 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भक्तों को पूजा के लिए सिर्फ 50 मिनट का समय मिलेगा. इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन रात्रिजागरण का विशेष महत्व है और रात्रि में चार पहर की पूजा करना भी बहुत शुभ होता है, जिसका शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है-
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय शाम 06 बजकर 19 मिनट से रात्रि 09 बजकर 26 मिनट तक रहेगा.
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय 09 बजकर 26 से फरवरी 27 को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 27 फरवरी को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 27 फरवरी सुबह 03 बजकर 41 मिनट से सुब 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
महाशिवरात्रि पूजन सामग्री
महाशिवरात्रि की पूजा के लिए जरूरी साम्रगी पहले से एकत्रित कर लेनी चाहिए. जोकि इस प्रकार है- धूप, दीप, अक्षत, सफेद, घी, बेल, भांग, बेर, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, गंगा जल, कपूर, मलयागिरी, चंदन, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री,पंच मेवा, शक्कर, शहद, आम्र मंजरी, जौ की बालियां, वस्त्राभूषण, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, दही, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, तुलसी दल, मौली जनेऊ, पंच रस, इत्र, गंध रोली, कुशासन आदि.
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन व्रत और महादेव की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. उसके बाद व्रत संकल्प लें. घर के पास किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ पूरे शिव परिवार का षोटशोपचार पूजन करें. शिवलिंग पर सबसे पहले जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन इत्यादि चीजें चढ़ाएं. भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करने के बाद पूजा संपन्न करें. अगर घर पर ही पूजा करना चाहते हैं तो पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें. उसके बाद पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करे. इस दिन रात्रि जागरण और पूजन का विशेष महत्व है, इसलिए रात्रि पूजन से पहले स्नान अवश्य करें उसके बाद पुन: विधि-विधान से महादेव की पूजा करें.
भगवान शिव के मंत्र
ॐ ऊर्ध्व भू फट् । ॐ नमः शिवाय । ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा ।
ॐ इं क्षं मं औं अं । ॐ प्रौं ह्रीं ठः ।
ॐ नमो नीलकण्ठाय । ॐ पार्वतीपतये नमः । ॐ पशुपतये नम:।
महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्||
माशिवरात्रि व्रत पारण का समय
महाशिवरात्रि व्रत का पारण शुभ मुहूर्त गुरुवार 27 फरवरी को सुबह 6 बजकर 48 मिनट से लेकर 8 बजकर 534 मिनट तक रहेगा. इस दौरान व्रत करने वाले भक्त भोलेनाथ की पूजा करने के बाद व्रत का पारण कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
महाशिवरात्रि का व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति महादेव की पूजा करने के साथ व्रत का पालन करता है. उसे जीवन के सभी कष्टों से मु्क्ति मिलती है. इस अलावा यह जो भी अविवाहित कन्याएं शिवरात्रि का व्रत तथा पूजन करती हैं उसे जल्दी ही विवाह के योग बनते हैं और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. देहात इसकी पुष्टि नहीं करता है.