नई दिल्ली: रुपये की गिरावट का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया इंट्रा-डे कारोबार में 26 पैसे कमजोर होकर 90.75 पर पहुंच गया, जो अब तक का रिकॉर्ड निचला स्तर है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में अनिश्चितता के कारण रुपये पर लगातार दबाव बना हुआ है।

विशेषज्ञों के अनुसार, द्विपक्षीय व्यापार समझौते में देरी और बाजार में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति ने निवेशकों के विश्वास को कमजोर किया है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 90.53 पर खुला और दिन के दौरान गिरकर 90.75 पर आ गया।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि रुपये का अगला समर्थन स्तर 90.80 पर है और इसके बाद यह 91-92 की ओर बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बाजार को मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता दी है और केवल अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप कर रहा है।

भारत और अमेरिका ने पिछले सप्ताह दो दिन की वार्ता पूरी की, जिसमें दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते सहित अन्य आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी फोन पर इस संबंध में बातचीत की और द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी में गति बनाए रखने के तरीकों पर विचार किया।

डॉलर सूचकांक में मामूली गिरावट आई और यह 98.37 पर कारोबार कर रहा था। घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 51.77 अंक गिरकर 85,215.89 पर और निफ्टी 31.30 अंक गिरकर 26,015.65 पर बंद हुआ।

वैश्विक ब्रेंट क्रूड का भाव बढ़कर 61.36 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 1,114.22 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 5 दिसंबर तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.033 अरब डॉलर बढ़कर 687.26 अरब डॉलर हो गया।