पत्रकार जगत के लिए आज शोक का दिन है। श्रमजीवी पत्रकारों का महानायक, जुझारू पत्रकार पुरोधा डॉ. के.विक्रम राव का आज 80 वर्ष की आयु में लखनऊ में निधन हो गया। पत्रकारों की राष्ट्रीय संस्था इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के वे प्राण थे। आधी सदी तक उन्होंने श्रमजीवी पत्रकारों के अधिकारों एवं प्रेस की आज़ादी को बरकरार रखने के लिए संघर्ष जारी रखा।

पत्रकारिता के प्रति समर्पण एवं संघर्ष का जज्बा उन्हें अपने पिता मूर्धन्य पत्रकार एवं नेशनल हेराल्ड के संस्थापक संपादक के रामाराव से उत्तराधिकार में मिला। भारतीय प्रेस परिषद का सदस्य होना, एशियाई, अन्तरराष्ट्रीय पत्रकारिता संगठनों से संबद्ध होना उनके लिए एक सामान्य उपलब्धि थी क्योंकि विक्रम राव का व्यक्तित्व व कृतित्व इनसे बहुत बड़ा था।

बीमार रहते हुए भी वे सार्वजनिक जीवन से जुड़े रहते थे। लखनऊ में यूएनआई के पूर्व ब्यूरो चीफ श्री जे.पी. त्यागी ने आज फोन पर बताया कि पहली मई को अन्तरराष्ट्रीय श्रमदिवस पर जब वे प्रेस क्लब के कार्य क्रम में पहुंचे तो करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया गया, ठीक उसी तरह जैसे परिवार के मुखिया का किया जाता है। विक्रम राव पुरानी एवं नयी पत्रकार पीढ़ी के बीच एक सेतु (पुल) थे। निश्चित रूप से यह एक युग का अंत है, इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं। स्वच्छ, निर्भीक, सकारात्मक पत्रकारिता के लिए विक्रम राव एक चमकते सितारे की भांति आदर्श रहेंगे।

'देहात परिवार' की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

गोविंद वर्मा
संपादक 'देहात'