अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर यहूदी और इस्राइली मूल के छात्रों के नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इसी आधार पर प्रशासन ने हार्वर्ड की संघीय सहायता रोकने की चेतावनी भी दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन को इस संबंध में त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
फेडरल टास्क फोर्स ने विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजा पत्र
ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के बीच बीते कुछ समय से लगातार मतभेद चल रहे हैं। प्रशासन की ओर से विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम, कर्मचारियों, प्रवेश प्रक्रिया और विविधता की नीति की समीक्षा करने को कहा गया था, जिसे हार्वर्ड ने अस्वीकार कर दिया। ट्रंप और उनके समर्थकों का आरोप है कि हार्वर्ड सहित कई प्रमुख अमेरिकी विश्वविद्यालय अब उदारवादी, यहूदी-विरोधी और पारंपरिक विचारधारा के विरोधियों के ठिकाने बन गए हैं।
फेडरल टास्क फोर्स ने विश्वविद्यालय अध्यक्ष को पत्र भेजते हुए कहा कि हाल के समय में कैंपस में इस्राइल-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान यहूदी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्रशासन विफल रहा। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि यहूदी छात्रों और फैकल्टी सदस्यों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
छात्रों में डर का माहौल, धार्मिक प्रतीकों से भी परहेज
टास्क फोर्स के मुताबिक, हार्वर्ड के अधिकांश यहूदी छात्रों और संकाय को भेदभाव का अनुभव होता है। लगभग एक-तिहाई छात्र अपनी पहचान छिपाकर रखते हैं और उन्हें शारीरिक हमले का डर बना रहता है। वे धार्मिक प्रतीकों का उपयोग करने से भी बचते हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरोलिना लेविट ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर कोई संस्था नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, तो उसे संघीय फंडिंग नहीं मिलनी चाहिए।”
हार्वर्ड का इनकार, अंतरराष्ट्रीय छात्रों को वीजा पर असर
हार्वर्ड प्रशासन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय यहूदी-विरोध के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय को इलेक्ट्रॉनिक स्टूडेंट इमीग्रेशन रजिस्ट्री से हटाने का आदेश भी दिया है। साथ ही अमेरिकी दूतावासों को निर्देशित किया गया है कि हार्वर्ड में दाखिला लेने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को वीज़ा जारी न किया जाए।
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