जिनेवा: भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 60वें सत्र में पाकिस्तान के मानवाधिकार पाखंड को बेपर्दा कर दिया। भारत के प्रतिनिधि मोहम्मद हुसैन ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और भेदभाव के मामलों को उजागर करते हुए कहा कि मानवाधिकारों के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड वाला देश दूसरों को उपदेश देने का प्रयास कर रहा है।
हुसैन ने परिषद की 34वीं बैठक में पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर पाकिस्तान इस मंच का दुरुपयोग कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को अपने देश में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे ‘राज्य प्रायोजित उत्पीड़न और व्यवस्थित भेदभाव’ पर ध्यान देना चाहिए।
पीओके में हालात तनावपूर्ण
मानवाधिकार परिषद के इस सत्र के दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हालात गंभीर बने हुए हैं। कई दिनों से विरोध प्रदर्शन और हिंसा जारी है। संयुक्त कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) के प्रवक्ता नासिर अजीज खान ने सत्र में कहा कि पीओके में पाकिस्तान द्वारा इंटरनेट सेवाओं को बंद करने, सेना तैनात करने और संचार व्यवस्था ठप करने जैसी कार्रवाइयों के कारण 30 लाख से अधिक कश्मीरी प्रभावित हैं।
विरोध प्रदर्शन हिंसक हुए
पीओके में बिजली दरों में कमी, सब्सिडी वाले गेहूं के आटे और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की मांग को लेकर शुरू हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए। इसमें कम से कम तीन लोग मारे गए और 22 से अधिक घायल हुए। प्रदर्शनकारी पाकिस्तान में शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को हटाने की भी मांग कर रहे हैं।
इस दौरान जिनेवा में आयोजित एक सेमिनार में भी पाकिस्तान और बांग्लादेश में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर ध्यान आकर्षित किया गया। भारत ने इस मंच का उपयोग कर पाकिस्तान के दमन और उत्पीड़न की वास्तविकता को दुनिया के सामने रखा।