इस्राइल ने यमन की राजधानी सना पर एक बार फिर हवाई हमले किए। बताया जा रहा है कि हमलों में हूती विद्रोही नियंत्रित सरकार के प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की मौत हो गई, जबकि कई अन्य मंत्रियों की भी जान गई।
हूती विद्रोहियों के अनुसार, अल-रहावी अगस्त 2024 से हूती नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री थे। उन्हें और अन्य मंत्रियों को सरकार की पिछले वर्ष की गतिविधियों का मूल्यांकन करने के लिए आयोजित एक कार्यशाला के दौरान निशाना बनाया गया। वहीं, इस्राइली सेना का कहना है कि सना में उन्होंने हूती शासन के सैन्य ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए।
हमला उस समय किया गया जब शीर्ष नेता एक अपार्टमेंट में राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित भाषण कार्यक्रम देख रहे थे। यमन के एक चैनल ने बताया कि हूती प्रधानमंत्री अल-रहावी अपने कई सहयोगियों के साथ वहां मौजूद थे। हमले में हूती रक्षा मंत्री मोहम्मद नासिर अल-अथिफी और चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद अब्द अल-करीम अल-गमारी के भी मारे जाने की संभावना है।
गाजा में हमास के खिलाफ जारी संघर्ष के दौरान हूती विद्रोहियों ने इस्राइल पर बार-बार मिसाइलें दागी हैं। हूतियों का कहना है कि यह हमला फलस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए किया गया। हालांकि, यमन से दागी गई अधिकांश मिसाइलें इस्राइल ने रोक लीं और हवा में नष्ट कर दीं। हूती प्रशासन के अनुसार इस सप्ताह की शुरुआत में हुए इस्राइली हमलों में सना के कई क्षेत्रों को निशाना बनाया गया, जिसमें कम से कम 10 लोग मारे गए और 102 अन्य घायल हुए।
इससे पहले इस्राइल और अमेरिका ने यमन के विद्रोही क्षेत्रों पर हवाई हमले किए थे। इसमें सना और रणनीतिक तटीय शहर होदेदा भी शामिल थे। मई में इन हमलों के कारण सना हवाई अड्डा सेवा से बाहर हो गया था। ट्रंप प्रशासन ने मई में हूतियों के साथ एक समझौते की घोषणा की थी, जिसके तहत लाल सागर में जहाजों पर हमले रोकने के बदले हवाई हमलों में विराम रखने की बात की गई थी। हालांकि, विद्रोहियों ने कहा कि इस समझौते में उन ठिकानों पर हमले रोकने का कोई प्रावधान शामिल नहीं था, जो इस्राइल से जुड़े थे।