नई दिल्ली। भारत ने मंगलवार को जोर देकर कहा कि दुनिया को आतंकवाद के हर प्रकार और उसकी सभी अभिव्यक्तियों के प्रति शून्य सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) दिखानी चाहिए। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक में यह बात कही। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद को उचित ठहराया नहीं जा सकता और इसे छुपाया नहीं जा सकता।
एससीओ को बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुसार ढालना जरूरी
विदेश मंत्री जयशंकर ने बैठक में कहा कि एससीओ को वर्तमान वैश्विक परिदृश्य के अनुकूल बनाना आवश्यक है। संगठन के एजेंडा और कार्यप्रणाली में सुधार किया जाना चाहिए ताकि सदस्य देशों के बीच सकारात्मक और ठोस योगदान सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा, “हमें अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है और भारत इसे लगातार निभाएगा।”
एससीओ का इतिहास और भारत-पाकिस्तान की सदस्यता
एससीओ की स्थापना 2001 में रूस, चीन, किर्गिजस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों के शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने। जुलाई 2023 में भारत की मेजबानी में हुए एक ऑनलाइन सम्मेलन में ईरान भी स्थायी सदस्य बना।
आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद को गंभीर खतरा बताया
जयशंकर ने कहा कि एससीओ की मूल भावना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटना है, और बीते वर्षों में ये खतरे और गंभीर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी देशों को आतंकवाद के हर रूप के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए और इसे उचित ठहराना या छिपाना स्वीकार्य नहीं है।
वैश्विक आर्थिक हालात और सांस्कृतिक सहयोग पर जोर
विदेश मंत्री ने मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों की जटिलताओं और अस्थिरता का हवाला देते हुए कहा कि जोखिम कम करने के लिए तत्काल विविधिकरण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आपसी संबंधों और आर्थिक सहयोग के जरिए यह किया जा सकता है। जयशंकर ने यह भी बताया कि एससीओ में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं ताकि देशों के विद्वान, कलाकार और खिलाड़ी आपस में बेहतर संपर्क स्थापित कर सकें।