संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने सोमवार को गाजा के लिए अमेरिकी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (International Stabilization Force) की तैनाती की राह खुल गई है। इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 देशों ने मतदान किया, जबकि रूस और चीन ने मतदान से दूरी बनाई। अमेरिका की उम्मीद थी कि रूस अपना वीटो इस्तेमाल नहीं करेगा।

दो साल से जारी इजराइल-हमास संघर्ष के बाद यह प्रस्ताव गाजा में नाजुक युद्धविराम को मजबूती देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कई अरब और मुस्लिम देशों ने पहले ही संकेत दिए थे कि वे गाजा में सुरक्षा बल भेजने में तभी हिस्सा लेंगे जब सुरक्षा परिषद से औपचारिक अनुमति मिले।

अमेरिकी योजना की प्रमुख बातें
इस योजना में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20 बिंदुओं वाली युद्धविराम योजना को समर्थन दिया गया है। इसके तहत ‘बोर्ड ऑफ पीस’ नामक अस्थायी प्राधिकरण का गठन होगा, जिसकी अगुवाई ट्रंप खुद करेंगे। यह बोर्ड और सुरक्षा बल गाजा की सीमाओं की निगरानी, सुरक्षा व्यवस्था और क्षेत्र में हथियारमुक्त माहौल बनाने जैसे कार्य संभालेंगे। बोर्ड और बल का यह मांडेट 2027 के अंत तक लागू रहेगा।

दो हफ्तों तक चली बातचीत में अरब देशों और फलस्तीनी प्रतिनिधियों ने अमेरिका पर दबाव बनाया कि फलस्तीनी आत्मनिर्णय को और स्पष्ट और मजबूत भाषा में रखा जाए। संशोधित प्रस्ताव में यह कहा गया कि जब फलस्तीनी प्राधिकरण आवश्यक सुधार करेगा और गाजा का पुनर्निर्माण आगे बढ़ेगा, तब फलस्तीनी राज्य की दिशा में विश्वसनीय मार्ग तैयार हो सकेगा। अमेरिका ने इजराइल और फलस्तीनी नेताओं के बीच संवाद शुरू करने का भी वादा किया है ताकि शांतिपूर्ण और समृद्ध सह-अस्तित्व का राजनीतिक ढांचा तैयार किया जा सके।

इजराइल का विरोध
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव का विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह कदम हमास को इनाम देने जैसा होगा और भविष्य में गाजा के पास एक और हमास-नियंत्रित राज्य बनने का खतरा है।

अरब देशों का समर्थन
अमेरिकी प्रस्ताव को पास कराने में अरब और मुस्लिम देशों का समर्थन निर्णायक रहा। कतर, मिस्र, UAE, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, जॉर्डन और तुर्की ने संयुक्त बयान जारी कर प्रस्ताव को शीघ्र अपनाने की अपील की।