अगले सप्ताह से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस दौरान कई होटल और ढाबा संचालक अपने प्रतिष्ठानों के नाम बदल देते हैं। इस पर योग गुरु स्वामी रामदेव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय को अपने नामों में बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनके पूर्वज भी इसी देश की सनातन परंपरा से जुड़े रहे हैं।
बाबा रामदेव ने कहा, “जिस तरह हमें अपने हिंदू धर्म पर गर्व है, उसी तरह मुसलमानों को भी अपने मजहब पर गर्व होना चाहिए। किसी होटल या ढाबे का नाम बदलना न तो व्यावहारिक है और न ही धार्मिक दृष्टिकोण से उचित। यदि भोजन अच्छा होगा तो लोग खुद-ब-खुद खाने आएंगे, नाम बदलने से कुछ हासिल नहीं होगा।”
मुजफ्फरनगर में ढाबा विवाद पर प्रतिक्रिया
रामदेव की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून कांवड़ मार्ग पर स्थित एक ढाबे को लेकर विवाद गहराया। ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ के नाम से चल रहे प्रतिष्ठान को लेकर पहचान छुपाने के आरोप लगे, जिसके बाद ढाबे के मालिक ने इसे बंद कर दिया। पुलिस ने मामले में पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
नई मंडी थाना प्रभारी दिनेश चंद्र ने बताया कि दीक्षा शर्मा, जो ढाबे की स्वामिनी हैं, और संचालक सनावर समेत पांच लोगों पर पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र से मारपीट का मामला दर्ज किया गया है। बताया गया कि ढाबे की असली जानकारी देने के संदेह में धर्मेंद्र से हाथापाई की गई थी।
मराठी बनाम हिंदी विवाद पर क्या बोले बाबा रामदेव
महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर चल रही बहस पर भी बाबा रामदेव ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “भारत की हर भाषा का सम्मान होना चाहिए, मराठी का भी। लेकिन भाषाओं, जातियों या समुदायों के नाम पर हिंदुओं को आपस में नहीं भिड़ना चाहिए। इससे सनातन परंपरा और राष्ट्रीय एकता दोनों को नुकसान पहुंचता है।”
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