प्रधानमंत्री और संघ कार्यकर्ताओं पर आपत्तिजनक कार्टून बनाने के मामले में आरोपी कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत प्रदान की। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की पीठ ने यह देखते हुए याचिका स्वीकार की कि मालवीय पहले ही सोशल मीडिया मंचों पर सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं। हालांकि, अदालत ने यह शर्त भी रखी कि यदि वे जांच में सहयोग नहीं करते हैं तो पुलिस जमानत रद्द करने का अनुरोध कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मालवीय की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने खेद जताया है और अब तक जांच एजेंसियों ने पूछताछ के लिए उन्हें तलब भी नहीं किया है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही तलब किया जाएगा।
पिछला घटनाक्रम
इंदौर में मई माह में आरएसएस कार्यकर्ता और अधिवक्ता विनय जोशी ने मालवीय के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कार्टून साझा कर धार्मिक भावनाएं आहत कीं और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की।
15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने मालवीय के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इससे पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने 3 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
पुलिस ने मालवीय पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 299, 352 और आईटी एक्ट की धारा 67-ए सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया है।