रिटायरमेंट के बाद भी बंगले में रह रहे चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लिखा पत्र

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद भी सरकारी आवास खाली न करने का मामला अब चर्चा में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उनसे आवंटित बंगला तत्काल खाली कराने का अनुरोध किया है।

कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 5, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश का आधिकारिक निवास होता है, अभी तक पूर्व CJI चंद्रचूड़ के कब्जे में है। जबकि वे नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नियमानुसार, उन्हें निर्धारित समयसीमा के भीतर यह आवास छोड़ देना था।

सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि यह आवास न्यायालय की हाउसिंग पूल में वापस लौटे ताकि मौजूदा या भविष्य के किसी मुख्य न्यायाधीश को आवंटित किया जा सके। इस संबंध में 1 जुलाई को न्यायालय प्रशासन की ओर से आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) को पत्र भेजा गया है जिसमें शीघ्र कार्रवाई की मांग की गई है।

बंगला न छोड़ने के पीछे क्या है कारण?

पूर्व CJI कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जो वैकल्पिक निवास चंद्रचूड़ को दिया गया था, उसकी स्थिति बेहद खराब थी। उसमें जरूरी मरम्मत की आवश्यकता थी और वह व्हीलचेयर के अनुकूल नहीं था। इन परिस्थितियों में, चंद्रचूड़ ने पुराने बंगले में रहना जारी रखा।

बंगला न मांगने से नहीं बना दबाव

सेवानिवृत्त होने के बाद भी यह आवास खाली न होने का एक कारण यह भी है कि किसी नए न्यायाधीश ने इसे लेने की इच्छा नहीं जताई। वर्तमान CJI बी. आर. गवई और जस्टिस संजीव खन्ना ने इस बंगले को लेने से इनकार कर दिया और अपने वर्तमान आवास में ही रहना पसंद किया। ऐसे में चंद्रचूड़ पर बंगला खाली करने का कोई तत्काल दबाव नहीं बना।

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