नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नौसेना की कार्रवाई और पाकिस्तानी नौसेना पर इसके प्रभाव का विस्तृत ब्योरा साझा किया। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत की आक्रामक रणनीति और कैरियर बैटल ग्रुप की तत्परता ने पाकिस्तान को अपने बंदरगाहों के पास सीमित रहने के लिए मजबूर किया।

एडमिरल त्रिपाठी ने अपनी वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मई में शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और इस दौरान नौसेना ने लगातार निगरानी और अभियानगत तैयारियों को बढ़ाया है। पश्चिमी अरब सागर में भारतीय नौसेना की पैनी नजर ने पाकिस्तानी पोतों की आवाजाही पर असर डाला है। उन्होंने बताया कि इसके कारण पाकिस्तान को आर्थिक दबाव झेलना पड़ रहा है, क्योंकि कई व्यापारी पोत अब इस क्षेत्र में जाने से बच रहे हैं और पोतों की बीमा लागत भी बढ़ गई है।

नौसेना प्रमुख ने यह भी घोषणा की कि जल्द ही स्वदेशी न्यूक्लियर बैलिस्टिक सबमरीन आईएनएस अरिदमन को नौसेना में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, 2029 तक राफेल-एम लड़ाकू विमानों का पहला बेड़ा भी नौसेना में आ जाएगा। उन्होंने प्रोजेक्ट 75 के तहत छह आधुनिक सबमीन खरीदने की योजना का भी उल्लेख किया और कहा कि इसके लिए बातचीत चल रही है और जल्द ही अनुबंध पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।