भारत और यूरोपीय संघ के बीच चल रहे मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर संवाद अब महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गया है। इसी सिलसिले में यूरोपीय संघ के 40 सदस्यीय वार्ताकारों का उच्चस्तरीय दल गुरुवार को दिल्ली पहुंचेगा। दोनों पक्षों के बीच यह अब तक का सबसे अहम दौरा माना जा रहा है। ज्ञात हो कि वर्ष 2022 में भारत-ईयू एफटीए वार्ता को दोबारा शुरू किया गया था।
बुधवार को वर्ल्ड एनुअल कॉन्क्लेव 2025 के दौरान भारत में ईयू के राजदूत हर्वे डेल्फिन ने कहा कि वर्तमान चरण को ‘ईयू-इंडिया एफटीए नेगोशिएशन 2.0’ कहा जा सकता है, क्योंकि यह पहले से बिल्कुल अलग और नई परिस्थितियों में हो रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वैश्विक व्यापार परिदृश्य, आर्थिक प्राथमिकताएं और रणनीतिक दृष्टिकोण अब बदल चुके हैं, इसलिए इस समझौते को पारंपरिक नज़रिये से देखना उचित नहीं होगा।
डेल्फिन ने बताया कि बढ़ते वैश्विक व्यापार तनाव और शुल्क विवादों ने एक स्थिर, भरोसेमंद और नियम-आधारित व्यापार ढांचे की जरूरत को और बढ़ा दिया है। उनके अनुसार, भारत और यूरोपीय संघ मिलकर दुनिया की लगभग 25% जीडीपी और 25% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे में किसी भी एफटीए का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ना तय है। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ के पूर्व एफटीए ने हमेशा व्यापार, निवेश और रोजगार को गति दी है, और उम्मीद है कि यह समझौता भी दोनों के लिए लाभकारी साबित होगा।
23 में से 11 अध्यायों पर बनी सहमति, कुछ मुद्दे अब भी लंबित
एफटीए के 23 चैप्टरों में से 11 पर सहमति बन चुकी है, जबकि कई अन्य धाराएं अंतिम दौर में हैं। हालांकि, ऑटो सेक्टर में बाजार पहुंच, सेवा और निवेश से जुड़े नियम, तकनीकी व्यापार अवरोध, और कस्टम्स एवं बॉर्डर मैनेजमेंट जैसे विषयों पर अभी समाधान की आवश्यकता है।
डेल्फिन ने उम्मीद जताई कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और उद्योग जगत के सकारात्मक रुख के चलते दोनों पक्ष आपसी लचीलापन दिखाते हुए एक संतुलित एवं पारस्परिक रूप से लाभदायक समझौते तक पहुंच जाएंगे।