रक्षा क्षेत्र में भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने लड़ाकू विमानों के लिए विकसित उन्नत एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी जानकारी साझा करते हुए इसे स्वदेशी सैन्य तकनीक के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया है।
मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'एक्स' पर जारी वीडियो के अनुसार यह परीक्षण चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी की रेल-ट्रैक रॉकेट-स्लेड सुविधा में 800 किमी प्रति घंटे की नियंत्रित रफ्तार पर किया गया। इस उपलब्धि के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो पायलट इजेक्शन सिस्टम के ऐसे उन्नत और जटिल परीक्षण करने में सक्षम हैं।
पूरी प्रक्रिया हुई सफल
डीआरडीओ ने बताया कि नियंत्रित गति पर किए गए इस परीक्षण में कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन सीक्वेंसिंग और एयरक्रू रिकवरी प्रक्रिया की पूरी शृंखला को सफलतापूर्वक निष्पादित किया गया। इसके लिए विमान के अग्रभाग को दोहरी स्लेज प्रणाली पर स्थापित किया गया, जिसे ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर्स के क्रमिक प्रज्वलन से आगे बढ़ाया गया।
इजेक्शन सिस्टम की प्रभावकारिता का आकलन 'इंस्ट्रूमेंटेड एंथ्रोपोमॉर्फिक टेस्ट डमी' की मदद से किया गया, जिसने वास्तविक परिस्थितियों में पायलट द्वारा झेले जाने वाले भार, गति और त्वरण जैसे अहम मापदंडों को रिकॉर्ड किया। पूरे परीक्षण को हाई-स्पीड कैमरों और सेंसरों के माध्यम से विस्तार से कैप्चर किया गया। इस दौरान भारतीय वायुसेना और इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन के विशेषज्ञ भी मौजूद रहे।
कई संस्थाओं का संयुक्त प्रयास
यह परीक्षण एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से पूरा किया गया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह उपलब्धि भारत की उस क्षमता को मजबूत करती है जिसके तहत वह उन्नत एस्केप सिस्टम का स्वदेशी स्तर पर परीक्षण और विकास कर सकता है। गतिशील इजेक्शन टेस्ट को इजेक्शन सीट और कैनोपी सिस्टम की वास्तविक विश्वसनीयता मापने का सबसे कठोर मानक माना जाता है।
रक्षा मंत्री ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, भारतीय वायुसेना, एडीए, एचएएल समेत सभी साझेदार संस्थानों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देते हुए स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी को एक नए स्तर पर ले जाती है।