ब्रिटेन की संसद की मानवाधिकार समिति द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत को कथित रूप से अंतरराष्ट्रीय दमन में शामिल देशों की सूची में रखने पर भारत सरकार ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को स्पष्ट शब्दों में इस रिपोर्ट को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया।
विदेश मंत्रालय का जवाब
एमईए प्रवक्ता ने कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप अपुष्ट, पूर्वाग्रह से ग्रसित और ऐसे स्रोतों पर आधारित हैं जिनका संबंध भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों और संगठनों से रहा है। उन्होंने रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका आधार ही संदिग्ध है।
क्या है रिपोर्ट में
30 जुलाई को ब्रिटिश संसद की संयुक्त मानवाधिकार समिति द्वारा ‘ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय दमन’ शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इसमें भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, सऊदी अरब, तुर्की, यूएई, मिस्र, रवांडा, बहरीन और इरिट्रिया जैसे देशों को विदेशों में विरोधियों को डराने, धमकाने या परेशान करने का दोषी बताया गया है।
भारत पर लगाए गए आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा ब्रिटेन में रह रहे कुछ सिख कार्यकर्ताओं पर निगरानी रखी जा रही है या उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। इसमें ‘सिख फॉर जस्टिस’ जैसे संगठनों का हवाला भी दिया गया है, जिसे भारत सरकार पहले ही गैरकानूनी करार दे चुकी है।
भारत का पक्ष और आपत्ति
भारत ने जोर देकर कहा कि ऐसे संगठन, जो भारत की एकता और संप्रभुता को चुनौती देते हैं, झूठे प्रचार के जरिये वैश्विक मंचों पर भारत की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि इन संगठनों को रिपोर्ट का स्रोत मानना स्वयं उस रिपोर्ट की निष्पक्षता और उद्देश्य पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
एमईए प्रवक्ता ने दो टूक कहा कि इस तरह के आरोप पूर्वग्रह से प्रेरित हैं और उनकी कोई वैधता नहीं है।