भारतीय नौसेना को बुधवार को पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित गोताखोरी सहायता पोत (Diving Support Vessel) सौंपा गया। 'निस्तार' नामक यह विशेष पोत गहरे समुद्र में गोताखोरी और बचाव अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है। यह पोत विशाखापत्तनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है।

पनडुब्बी बचाव अभियानों में भी करेगा सहयोग

नौसेना अधिकारियों ने जानकारी दी कि यह पोत गहरे समुद्र में बचाव कार्य करने वाली पनडुब्बी (डीएसआरवी) के लिए 'मदर शिप' की भूमिका निभाएगा। इसका उपयोग पनडुब्बी में किसी आपात स्थिति में फंसे नौसैनिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में किया जाएगा।

विशेष क्षमताओं से लैस है 'निस्तार'

नौसेना प्रवक्ता के अनुसार, ‘निस्तार’ की लंबाई 118 मीटर है और इसका वजन करीब 10,000 टन है। इसमें उन्नत तकनीक से युक्त गोताखोरी उपकरण लगाए गए हैं, जो इसे 300 मीटर की गहराई तक संचालन योग्य बनाते हैं। इसके अलावा, 75 मीटर तक गोताखोरी के लिए साइड डाइविंग स्टेज भी इसमें शामिल है।

यह पोत 1,000 मीटर गहराई तक निगरानी और बचाव कार्यों के लिए रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs) से लैस है, जिससे अत्यधिक जोखिम भरे अभियानों में भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

संस्कृत शब्द से लिया गया नाम

'निस्तार' शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है — मुक्ति, बचाव या उद्धार। यह पोत भारतीय नौवहन रजिस्टर (IRS) के मानकों के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है और इसे विश्व स्तरीय क्षमताओं से सुसज्जित माना जा रहा है।